बागवानी विकास की योजनाओं के तहत किए काम पर सवाल उठाए हैं। इन अधिकारियों से कहा गया है कि योजनाओं के शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कि या जाए और धनराशि को नियमों के तहत व्यय करें। अगर इस दिशा में कोई कोताही होती है तो संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय होगी।
हिमाचल में बागवानी योजनाओं में 50 फीसदी लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ है। लेखा परीक्षा विभाग ने बागवानी योजनाओं के क्रियान्वयन पर विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर कड़ी आपत्तियां जताई हैं। बागवानी विकास की योजनाओं के तहत किए काम पर सवाल उठाए हैं। इन अधिकारियों से कहा गया है कि योजनाओं के शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कि या जाए और धनराशि को नियमों के तहत व्यय करें। अगर इस दिशा में कोई कोताही होती है तो संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय होगी। बागवानी विभाग के अतिरिक्त निदेशक धर्मशाला, संयुक्त निदेशक मंडी सहित उपनिदेशकों और सभी जिला अधिकारियों तथा आहरण एवं वितरण अधिकारियों को पत्र भेजा है।
इन अधिकारियों को राज्य सरकार ने फटकार भी लगाई है। निदेशक उद्यान आरके परुथी ने इस संबंध में एक पत्र संख्या 10-21/ 2009 उद्यान-3 भेजा है। इस पत्र में कहा गया है कि लेखा परीक्षा निरीक्षण के दौरान विभागीय और सरकार की योजनाओं में आवंटित धनराशि के तहत विभागीय कार्यों और उनसे लाभाविन्त किसानों- बागवानों के उत्थान के लिए निर्धारित लक्ष्यों को धरातल पर 50 फीसदी तक भी पूरा करने में सफल नहीं हो पाए हैं। जबकि इसके संबंध में निदेशक की ओर से बार-बार दिशा निर्देश जारी किए जाते रहे हैं।
विभागीय योजनाओं की धनराशि बागवानों और किसानों तक समय पर पहुंचनी चाहिए, लेकिन रिपोर्ट में दर्ज आंकड़े दर्शा रहे हैं कि कोई भी जिला 50 फीसदी तक के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है। इन योजनाओं को किसानों, बागवानों, महिलाओं और बेरोजगारों को आर्थिक तौर पर सुदृढ़ करने के लिए शुरू किया गया है। लेखा परीक्षा में यह भी सामने आ रहा है कि योजनाओं की जो धनराशि आहरण एवं वितरण अधिकारी निकाल रहे हैं, उसमें भी नियमों की उपेक्षा हो रही है।