हमीरपुर, 24 जुलाई : दक्षिण भारत में पाए जाने वाली लाल चंदन (Red sandalwood) की खेती अब हिमाचल में संभव होगी। बता दे कि “पुष्पा” फिल्म लाल चंदन की तस्करी पर केंद्रित थी। हिमाचल में अब तक सफेद चंदन ही लगाया जा रहा था, लेकिन अब उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के विशेषज्ञों ने संस्थान की नर्सरी में लाल चंदन की पौध उगाने में सफलता हासिल की है।
बेंगलुरु के लाल चंदन से बीज तैयार किए गए है। इससे दर्जनों पौधे तैयार किए गए है। विशेषज्ञों के प्रयासों से देवभूमि हिमाचल लाल चंदन से महकेगी। पौधों को नर्सरी से निकाल कर जल्द ही जमीन में रोपा जाएगा। लाल चंदन के ये पौधे समुद्र तल से 750 मीटर तक की ऊंचाई वाले इलाकों में उग सकते हैं। ऐसे में हिमाचल के निचले क्षेत्रों में इसकी खेती की संभावना प्रबल है।
सफेद चंदन के मुकाबले लाल चंदन को पैदा करने और इस्तेमाल करने का तरीका बेहद अलग है। बाजार में लाल चंदन की लकड़ी की कीमत हजारों रुपये प्रति किलो है। हिमाचल में वर्तमान में सफेद चंदन के पेड़ कांगड़ा और बिलासपुर के जंगलों में पाए जाते हैं। नेरी महाविद्यालय के विशेषज्ञों ने इससे पहले सफेद चंदन की उन्नत किस्म तैयार की थी, नेरी महाविद्यालय के इर्द-गिर्द सफेद चंदन के जंगल भी संस्थान के प्रयासों से लहलहा रहे है।
वहीं, अब लाल चंदन की खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान के विशेषज्ञों ने कदम बढ़ा दिए हैं। हिमाचल के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के शक्तिपीठ ज्वालामुखी में भी सैकड़ों चंदन के पौधे हैं, लेकिन हमीरपुर में नर्सरी विकसित होने के बाद अब प्रदेश के अन्य भागों में भी इसके पौधे लगाए जा सकेंगे।
नेरी स्थित अनुसंधान केंद्र में कुछ वर्ष पहले कर्नाटक से लाए चंदन के पौधों पर रिसर्च शुरू हुई थी। डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के विशेषज्ञों ने अब उन्नत किस्म के पौधों की नर्सरी तैयार करने में सफलता हासिल की है।