होम लोन के लिए इंश्‍योरेंस लेना बेहतर या टर्म प्‍लान में पैसे लगाना ज्‍यादा अच्‍छा रहेगा? एक्सपर्ट्स से समझिए?

मुंबई. अपना घर सबका सपना होता है. साथ ही यह जिन्दगी में एक बड़ा फाइनेंशियल स्टेप होता है. काफी प्लानिंग और सोच-विचार के बाद आदमी घर लेने का फैसला लेता है. घर खरीदने से पहले लोन की ब्याज दर, प्रोसेसिंग फीस, ईएमआई का टाइम इन जैसे सभी पहलुओं पर विचार करना जरूरी होता है. जब आप घर खरीद लेते हैं तो उसकी सुरक्षा के साथ-साथ घर के लिए गए होम लोन की अदायगी के लिए भी सुरक्षा का इंतजाम भी करना होता.

होम लोन की सुरक्षा के लिहाज से हमारे सामने दो विकल्प होता है. पहला- टर्म पॉलिसी और दूसरा- होम लोन इंश्योरेंस. होम लोन इंश्योरेंस को आम तौर पर होम लोन प्रोटेक्शन प्लान (HLPP) भी कहा जाता है. आइये जानते हैं कि होम लोन लेने के बाद आपके लिए इसकी सुरक्षा से जुड़ा कौन सा विकल्प बेहतर है?

प्रीमियम की लागत

होम लोन की सुरक्षा के लिए आपको टर्म प्लान लेना चाहिए या HLPP, इसका फैसला करने में सबसे महत्वपूर्ण है प्रीमियम की लागत. टर्म प्लान में जहां आपको एक नियमित अंतराल पर प्रीमियम चुकाना पड़ता है, वहीं HLPP में आपको एकमुश्त रकम प्रीमियम के रूप में देना होता है.

इस वजह से HLPP में आपको अधिक प्रीमियम चुकाना पड़ता है. आम तौर पर किसी युवा के लिए एक करोड़ रुपये का टर्म प्लान 8000 से 15000 रुपये के प्रीमियम में उपलब्ध है, जबकि HLPP में एक करोड़ रुपये के कवर के लिए आपको 50,000 रुपये तक चुकाना पड़ सकता है.

लाइफ कवर

टर्म प्लान लेने पर व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसके परिवार को बीमा की रकम मिल जाती है. इस स्थिति में परिजन इस रकम से होम लोन चुका सकते हैं. वे अपनी बाकी वित्तीय जरूरत भी पूरी कर सकते हैं. कई ऐसे टर्म प्लान अब बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें इंश्योरेंस की अवधि समाप्त होने के बाद भी अगर बीमा खरीदने वाला व्यक्ति जीवित रहता है तो उसे कुछ फायदे मिलते हैं.

इसकी तुलना में HLPP के कामकाज का तरीका जटिल है. इसमें होम लोन की रकम कवर होती है. इस स्थिति में HLPP बेचने वाली कंपनी व्यक्ति के नहीं रहने की स्थिति में सिर्फ उसके होम लोन की रकम बैंक को चुका देती है. एक बार होम लोन की रकम चुका देने के बाद कंपनी की देनदारी खत्म हो जाती है.

बदलाव से फायदा-नुकसान

इन दिनों होम लोन की रीफाइनेंसिंग या इसकी अवधि में बदलाव आम चलन है. अगर आप टर्म प्लान लेते हैं तो इसमें आपकी वित्तीय जवाबदेही बदलने के हिसाब से कवर की रकम में बदलाव किया जा सकता है. HLPP में एक बार प्रीमियम की रकम चुका देने के बाद किसी बदलाव की गुंजाइश कम है.

अगर आप होम लोन की अवधि 20 से बढ़ाकर 25 साल कर देते हैं तो आपके HLPP की वैधता 20 साल के लिए ही रहेगी. इसी तरह अगर आप होम लोन की अवधि घटा देते हैं तो भी आपके प्रीमियम की रकम में HLPP में आपको कोई राहत नहीं मिलने वाली है.

टैक्स संबंधी लाभ

होम लोन वास्तव में इनकम टैक्स बचाने का बेहतरीन विकल्प है. होम लोन की मासिक किस्त (EMI) के मूलधन के हिस्से पर इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ प्राप्त किया जा सकता है. HLPP में क्योंकि प्रीमियम की रकम भी लोन में ही शामिल होती है, इसलिए इस पर अलग से टैक्स लाभ नहीं लिया जा सकता. टर्म प्लान में आप सालाना प्रीमियम पर अलग से टैक्स लाभ पा सकते हैं.