हरियाणा के धर्मबीर कम्बोज ने एक ऐसी ‘मल्टी-प्रोसेसिंग’ मशीन बनाई है जिसमें गुलाब, एलोवेरा, आंवला, तुलसी, आम आदि को प्रोसेस किया जा सकता है।
इस मशीन की बदौलत आप किसी भी चीज का जैल, जूस, तेल, शैम्पू आदि सब इसी मशीन में बना सकते हैं। आज धर्मबीर की मशीन को देश ही नहीं विदेश में भी खासी चर्चा मिल रही है।
इतनी नायाब मशीन बनाने वाले कम्बोज मुश्किल से दसवीं क्लास पास कर पाए हैं। वह हरियाणा के युमनानगर जिले के दामला गांव के निवासी हैं।
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‘द बेटर इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मबीर ने अपने स्कूली दिनों से ही आर्थिक तंगी का सामना किया था। घर की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए पैसे जुटाने मुश्किल पड़ जाते थे। इस दौरान उन्होंने सरसों का तेल बेचने से लेकर आटा पीसने तक का भी काम किया।
शादी के बाद उनकी बेटी महज 3 दिन की थी जब उन्हें रोजगार की तलाश में दिल्ली जाना पड़ा। इस दौरान, उनके पास सिर्फ 70 रुपये ही थे और उसमें से भी 35 रुपये खर्च हो चुके थे।
यहाँ आकर उन्होंने रिक्शा चलाने का काम भी किया और दिल्ली की कड़ाके की सर्दियों में वह 3 रुपये की किराए की रज़ाई लेकर फुटपाथ पर भी सोए थे। दिल्ली में एक्सीडेंट हो जाने की वजह से वह गांव वापस लौट गए और खेती करनी शुरू कर दी।
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धर्मबीर को खेती में फायदा हुआ और रिपोर्ट्स की माने, तो एक समय ऐसा भी आया, जब उन्होंने 70 हजार प्रति एकड़ टमाटर भी बेचे। पूरी तरह से खेती पर फोकस करने के बाद धर्मबीर को एक आईडिया आया। इस आईडिया के मुताबिक, वह अपनी उपज को सीधे बाजार में बेचने की बजाय उन्हें प्रोसेस करके बेचना था।
बस, फिर क्या था उन्होंने इस पार काम करना शुरू कर दिया और अपने जुगाड़ से छोटी-मोटी मशीन बनाने के शौक को वह एक अलग स्तर तक लेकर गए।
इस मशीन के स्कैच को उन्होंने बनाया और जा पहुंचे मैकेनिक के पास। अब मैकेनिक ने उनसे इस मशीन को बनाने के 35 हजार रुपये मांग लिए। लेकिन, धर्मबीर ने मैकेनिक को 20 हज़ार रुपये में काम करने के लिए राजी कर लिया। इस मशीन को बनाने में कुल 8 से 9 महीने लग गए और मशीन के तैयार होने के बाद धर्मबीर ने अपनी मशीन का नाम दिया ‘मल्टी-प्रोसेसिंग मशीन’।
धर्मबीर ने द बेटर इंडिया से हुई बातचीत में कहा कि मशीन में एक 400 लीटर का ड्रम लगा हुआ है। इस मशीन से के जरिए आप एक घंटे में 200 लीटर एलोवेरा प्रोसेस कर सकते हैं। इसके अलावा, इस पोर्टेबल मशीन में कच्चा माल भी गर्म हो सकता है।
इसके बाद ‘हनी बी नेटवर्क की मदद से धर्मबीर ने पानी मशीन को और भी बेहतर बनाया। इस इनोवेशन के लिए उन्हें साल 2009 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने सम्मानित भी किया था। इसके अलावा, उन्हें 2012 में उन्हें फॉर्मर साइंटिस्ट अवार्ड भी मिला। 45 हजार से शुरू होकर 1 लाख 80 हजार की कीमत वाली धर्मबीर की यह नायाब इनोवेशन जापान, केन्या, साउथ अफ्रीका आदि देशों तक पहुँच चुकी है।