ये है रियल वैलेंटाइन! शादी के 2 महीने बाद पत्नी की दोनों किडनी फेल, मायके वाले ने छोड़ा साथ तो पति ने दी नई जिंदगी

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पति और पत्नी का साथ सात जन्मों तक होता है। ये भी देखने को मिलता है कि अक्सर पत्नी ही अपने पति के लिए त्याग करती है। लेकिन धनबाद में रिश्तेदारों के सुझाव को दरकिनार करते हुए पत्नी के लिए एक पति ने किडनी डोनेट कर दिया।

धनबाद: वैलेंटाइन डे पर देश दुनिया में प्यार मोहब्बत की बातें हो रही हैं। प्यार के केस में पाने से ज्यादा त्याग को तवज्जो दी गई है। आज हम पति-पत्नी के प्यार की एक ऐसी कहानी बता रहे हैं जिसको जानकार आपके दिल से एक ही बात निकलेगी ‘ये हैं सच्चे वेलेंटाइन’। यह खास प्रेम कहानी झारखंड के धनबाद के रहने वाले इंद्रपाल सिंह और उनकी वाइफ सतबिन्दर कौर की है। इंद्रपाल की शादी नवंबर 2018 में हुई। पत्नी के हाथों से अभी मेहंदी का रंग उतरा भी नहीं था। शादी के कुछ ही दिन बाद जानकारी मिली कि पत्नी सतबिन्दर कौर की दोनों किडनियां खराब है। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपनी किडनी डोनेट कर पत्नी को नई जिन्दगी दी है।

नौकरी छूट गई, हिम्मत नहीं हारी

नौकरी छूट गई, हिम्मत नहीं हारी

किडनी फेल होने के पहले पत्नी सतबिन्दर कौर भी एक प्राईवेट बैंक में काम करती थी। लेकिन बीमारी की वजह से उनकी नौकरी छूट गई। जबकि पति भी पत्नी की इलाज को लेकर लगातार विभिन्न शहरों का चक्कर लगाते रहे। इस कारण प्राईवेट कंपनी में नौकरी करने के कारण उनकी भी नौकरी छोड़ देनी पड़ी। इसके बावजूद बचत के कुछ पैसे और पीएफ की राशि निकाल कर किडनी ट्रांसप्लांट कराने में सफलता हासिल की।

पत्नी के ससुराल वालों ने मायके का फर्ज निभाया

पत्नी के ससुराल वालों ने मायके का फर्ज निभाया

सतबिन्दर कौर के मायके वालों ने भले ही अपनी बेटी का साथ छोड़ दिया, लेकिन ससुराल वालों ने बड़ी मदद की। इंद्रपाल के पिता बीसीसीएल में काम करते थे, उन्होंने भी सहायता की। जबकि बीमा कंपनियों से मिली सहायता से किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा। इस पूरे प्रकरण में पत्नी के ससुराल वालों ने मायके का फर्ज निभाया

पति ने अस्पताल में पत्नी का पूरा ख्याल रखा, नौकरी भी छोड़ दी

पति ने अस्पताल में पत्नी का पूरा ख्याल रखा, नौकरी भी छोड़ दी

पत्नी की किडनी खराब होने की सूचना मिलने के बाद पति इंद्रपाल को थोड़ी मायूसी जरूर हुई, लेकिन घर में खाना बनाने से लेकर अस्पताल में पत्नी का पूरा ख्याल रखा। जबकि इस पूरे प्रकरण में पत्नी के पिता और भाई ने एक भी अपनी बेटी-बहन का हाल जानने की कोशिश नहीं की।

सास-ससुर ने भी किडनी देने की इच्छा जताई, सतबिन्दर की सगी बहन ने छोड़ देने की सलाह दी

सास-ससुर ने भी किडनी देने की इच्छा जताई, सतबिन्दर की सगी बहन ने छोड़ देने की सलाह दी

इस पूरे प्रकरण का सुखद पहलु ये भी रहा कि दूसरे घर से आई बहु ससुराल वालों ने स्वीकार किया। इंद्रपाल के पिता और मां भी अपनी बहु के लिए किडनी डोनेट करना चाहते थे। लेकिन पिता की उम्र और एनिमिक पीड़ित मरीज रहने के कारण डॉक्टरों ने ऐसा नहीं करने की सलाह दी। जबकि मां को रीढ़ की हड्डी में परेशानी थी, जिस कारण वो भी किडनी डोनेट नहीं कर पाई। दूसरी तरफ दुःखद पहलु ये रहा कि सतबिन्दर कौर की अपनी सगी बड़ी बहन ने ही इंद्रपाल को उसे छोड़ देने की सलाह दी।

हाई रिस्क के बावजूद पति ने जिन्दगी बचाने में सफलता हासिल की

हाई रिस्क के बावजूद पति ने जिन्दगी बचाने में सफलता हासिल की

पति इंद्रपाल ने किडनी देने का फैसला ले लिया। ब्लड ग्रुप और डीएनए अलग रहने के बावजूद हाई रिस्क लेते हुए पांच महीने पहले किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा। दोनों अभी पूरी तरह से स्वस्थ है और उनकी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।