डॉक्टर्स भगवान का रूप होते हैं. चेन्नई, तमिलनाडु के डॉक्टर्स ने एक बार फिर ये कथन सच कर दिखाया है. डॉक्टर्स ने मधुमेह से पीड़ित महिला की जान बचा ली. पश्चिम बंगाल की महिला को भयंकर पेटदर्द, भूख न लगने, गैस्टराइटिस और ब्लोटिंग की शिकायत थी. मेडिकल जांच के बाद पता चला कि महिला की पित्त की थैली में बहुत सारे स्टोन्स हैं. सर्जरी कर महिला की जान बचाई गई.
महिला की पित्त की थैली से निकले 1241 पत्थर
News18
हमारे सहयोगी The Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की 55 साल की महिला को एक दशक से मधुमेह है. तकरीबन एक हफ़्ते पहले उसकी तबीयत बिगड़ी और उसे चेन्नई के डॉ. मोहन्स डायबिटीज़ स्पेशलिटीज़ सेंटर में भर्ती करवाया गया.
महिला को पेटदर्द, भूख न लगने, अपच, पैट में गैस जैसी शिकायतें थी. डॉक्टर्स ने महिला के एब्डोमेन का अल्ट्रासाउंड किया. रिपोर्ट्स देखकर डॉक्टर्स भी चौंक गए. महिला की पित्त की थैली में 1241 छोटे-छोटे पत्थर थे.
डॉक्टर्स ने सर्जरी कर बचाई जान
File/Representational Image
एसआरएम मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट और लैप्रोस्कोपिक सर्जन, डॉ. आर बालमुरुगन ने महिला की सर्जरी करने की तैयारी की. इस महिला की लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेकटमी (गॉल ब्लैडर रिमूवल) होनी थी. डॉ. बालमुरुगन ने ये भी कहा कि अगर सही समय पर इलाज नहीं होता तब महिला की पित्त की थैली फट भी सकती थी.
सही समय पर बीमारी का पता चलने और सही इलाज होने की वजह से महिला की जान बच गई. सीनियर डायबिटोलॉजिस्ट, डॉ. ब्रिजेंद्र कुमार ने कहा कि सही समय पर सर्जरी होने की वजह से महिला की जान बच गई. डॉ. ब्रिजेंद्र ने कहा, ‘मेरे 20 साल के एक्सपीरियंस में मैंने किसी की पित्त की थैली में इतने पत्थर नहीं देखे.’ डॉ. ब्रिजेंद्र ने कहा कि मोटापे का शिकार महिलाएं और जिन महिलाओं की उम्र 40 साल से ज़्यादा है उनकी पित्त की थैली में पथरी होने की ज़्यादा संभावना है.