जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़ के दौरान एक टांग कटने के बावजूद 2 आतंकियों को ढेर करने वाले भवारना उपमंडल की ग्राम पंचायत परौर के शहीद हवलदार सुरिंद्र राणा को उतना सम्मान नहीं मिल पाया है, जितने वे हकदार थे। शहादत के 17 वर्षों में विधानसभा क्षेत्र भी बदल ग लेकिन पंचायत में न उनके नाम किसी सड़क का नाम है और न अभी तक किसी स्कूल का नाम उनके नाम हो पाया है। शहीद की पत्नी अनिता कुमारी बताती हैं कि पहले पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में थे तो तब कांगेस और भाजपा के नेताओं ने स्कूल या सड़क का नाम उनके नाम रखने की घोषणा की थी। इसके बाद सुलह विधानसभा क्षेत्र के विधायकों से भी मांग रखी लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो पाई है।
बेटा जिमित भी कर रहा देश सेवा
पिता की शहादत के बाद अब बेटा जिमित राणा भी देश सेवा कर रहा है। हालांकि सेना ने मरणोपरांत सुरिंद्र राणा की वीरता और साहस को देखते हुए सेना मैडल से सम्मानित किया है। उनकी पत्नी बताती है कि हर साल की तरह इस साल भी 28 मई को शहीदी दिवस मनाया जाएगा। जानकारी के अनुसार 28 मई, 2005 को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑप्रेशन चलाया गया था। करीब 38 वर्षीय शहीद सुरिंद्र फोर्थ बटालियन स्पैशल फोर्स के होनहार जवान थे। लोहाव वैली में ऑप्रेशन के दौरान शहीद सुरिंद्र चारकोट में तैनात थे। इस दौरान हुई मुठभेड़ के दौरान शहीद सुरिंद्र की एक टांग कट गई और साथी गंभीर जख्मी हो गया। टांग कटने के बावजूद सुरिंद्र ने पूरे ऑप्रेशन को कंट्रोल किया और 2 आतंकियों को ढेर किया।
अब तो सम्मान की उम्मीद भी नहीं
अनिता कुमारी ने बताया कि पति की शहादत के 17 साल बीत चुके हैं। घोषणाएं तो बहुत हुई थीं लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ। अब उम्मीद ही रह गई है। खुशी होती है बेटा देश की रक्षा के लिए पिता की जिम्मेदारी निभा रहा है। स्टैच्यू भी उनकी याद में खुद बनाया था।
प्रधान रोजी बोले-कई वर्षों से लगा रहे गुहार
ग्राम पंचायत परौर के प्रधान रोजी राणा ने बताया कि अमर शहीद सुरिंद्र राणा के नाम स्कूल व कॉलेज का नाम या सड़क का नाम रखने की कई बार गुहार लगाई गई है लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। पहले पंचायत पालमपुर में आती थी तब दोनों विधायकों ने सम्मान देने की बात कही थी लेकिन आज तक पूरी नहीं हो पाई है।