हम इतनी तरक्की कर चुके हैं कि महिलाओं को कभी ऑटो-रिक्शा, कभी प्लेन उड़ाते हुए देखना हमें अचंभित नहीं करता और होना भी यही चाहिए. रोज़ हमारा सामना ऐसी महिलाओं से होता है जो कैब चलाती हैं, बाइक पर खान डिलीवर करती हैं. इसके बावजूद केरल की इस लड़की ने जब ‘हॉबी’ के लिए बस चलाई, तो वाहवाही की जगह तानें सुनने को मिले.
कोच्चि की 21 वर्षीय ये लड़की लॉ की पढ़ाई कर रही है. उसने हफ़्ते के कुछ दिन वो मुफ्त में बस चलाने का विकल्प चुना है. ताकी बड़ी गाड़ी चलाने का अपना शौक पूरा कर सके. एर्नाकुलम लॉ कॉलेज की छात्रा एन मैरी अंसालेन हर रविवार को बस चलाती हैं और कक्कानाड-पेरुम्बदप्पू मार्ग पर ज्यादा ट्रैफिक के बीच से सवारी को बैठाकर गुजरती हैं.
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ड्राइविंग के लिए ऐसी दीवानगी…
मैरी बड़े और भारी वाहनों की दीवानी है. लॉरी, ट्रक, बस चलाना उसे इतना पंसद है कि बस चलाने की वो सैलरी भी नहीं लेती. ड्राइविंग के प्रति इस दीवानगी की शुरुआत 15 साल की उम्र में हुई. जब मैरी ने अपने पिता की बुलेट चलानी सीखी. “मैंने 15 साल की उम्र में बाइक सीख ली थी और फिर इससे कॉलेज जाने के लिए 18 साल के होने तक इंतजार करती रही.”
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लॉ की छात्रा हर रविवार को बस चलाती है. “अन्य दिनों में मैं हर शाम बस चलाकर घर ले जाती हूं. ड्राइवर बस को पास के पेट्रोल पंप पर खड़ा कर देता है. क्लास के बाद मैं बस को वहां से लेती हूं और उसके मालिक के घर ले जाती हूं. वो हमारा पड़ोसी ही है.”
लगभग पिछले आठ महीने से एन इस मार्ग पर बस चला रही हैं.
शुरुआत में बस चलाते देख लोग चौंक गए
एन मैरी कहती हैं “मुझे आज भी याद है जब मैंने बस चलाई थी. एक महिला को गाड़ी चलाते देख लोग दंग रह गई. शुरुआती हफ़्तों में मैं नई ड्राइवर थी. एक महिला को गाड़ी चलाते देख यात्री डर जाते थे. उन्होंने आगे कहा “लोगों को लगता कि लड़की चला रही है कि एक्सीडेंट पक्का होगा. हालांकि, अब वो मुझे हर रविवार को इस रास्ते से गाड़ी चलाते हुए देखने के आदी हो गए हैं.”
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फब्तियां कसते थे
मैरी बताती है कि एक महिला के ड्राइविंग करने से लोगों को आपत्ति थी. “वे पीछा करते थे और मेरी बस को ओवरटेक करने की भी कोशिश करते थे. यह बहुत असहज करने वाला था. उनमें से कई लोग भद्दे और आपत्तिजनक कॉमेंट्स भी करते थे.”
अब नए दोस्त भी बन गए
अब उनकी कई साथी ड्राइवरों से दोस्ती हो गई है. “बस में अन्य कर्मचारी जैसे कंडक्टर अब मेरे दोस्त हैं. हर शिफ्ट के बाद हम साथ में खाना भी खाते हैं.”
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उनके इस अनूठे प्रयास में उन्हें अपने माता-पिता का भी पूरा समर्थन मिला है. मैरी को सबसे बड़ा सपोर्ट मिला अपने पड़ोसी सरथ एमएस का. “उन्होंने मुझे बस चलाना और कंट्रोल करना सिखाया और धैर्यपूर्वक मुझे सीखाया. मेरी दादी मरियम्मा ने मुझे हमेशा बचपन से ही प्रोत्साहित किया. वह वाहनों के प्रति मेरी दीवानगी के बारे में जानती थीं.”