हरियाणा के पंचकुला की रहने वाली इनायत वत्स ने ढाई साल की उम्र में 20 साल पहले अपने मेजर पिता को खो दिया था. अब वो खुद सेना में भर्ती होने के लिए तैयार हैं. उनके पिता मेजर नवनीत वत्स साल 2003 में जम्मू कश्मीर के एक आतंकवाद विरोधी अभियान में अपनी जान गवां दी थी. इनायत अपने पिता की विरासत को जारी रखने के लिए आर्मी ज्वाइन करेंगी.
बता दें कि इनायत अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी होंगी, जो आर्मी ज्वाइन करेंगी. उनके नाना भी फौज में कर्नल थे.
इनायत अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं. जब वो 2.5 साल की थी, तो उनके पिता देश के लिए शहीद हो गए थे. मरणोपरांत उन्हें सेना पदक से सम्मानित किया गया.
इनायत अप्रैल में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) चेन्नई में शामिल होंगी. दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक करने वाली इनायत वर्तमान में डीयू के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर कर रही हैं. इनायत के पास शहीदों के परिजनों के लिए राज्य की नीति के तहत एक राजपत्रित पद पर नियुक्ति के लिए हरियाणा सरकार का प्रस्ताव था. हालांकि, अपने पिता को एक आदर्श के रूप में देखने वाली इनायत का एक मात्र लक्ष्य सेना में भर्ती होना था. इनायत की मां शिवानी ने उनका साथ दिया.
शिवानी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान बताया “वह एक बहादुर की बेटी है. जब उसने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया, तो सभी ने सोचा कि वह राज्य सरकार द्वारा पेश की जाने वाली नौकरी ले लेगी और मेरे आसपास ही रहेगी. लेकिन वह एक शहीद की बेटी है, और सेना में शामिल होना उसका लक्ष्य था.
शिवानी जब 27 साल की थी और शादी को सिर्फ चार साल ही हुए थे कि उनके पति की मौत हो गई. अब पास के चंडीमंदिर में आर्मी पब्लिक स्कूल में एक शिक्षिका के तौर पर कार्यरत हैं.
वह कहती हैं कि “इनायत ने एक बार मुझसे पूछा था, ‘अगर मैं लड़का होती, तो तुम क्या करते?’ मैंने उससे कहा कि मैं उसे एनडीए या आईएमए में शामिल होने के लिए कहती. मुझे खुशी है कि एक आरामदायक जीवन के विकल्प होने के बावजूद, उसने अपने पिता का अनुसरण करना चुना.’