हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे है। हालांकि परिवहन विभाग की ओर से सड़क हादसों को रोकने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके भी सड़क हादसों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। न सिर्फ सड़क हादसों में मरने वालों का ग्राफ बढ़ रहा हैं, बल्कि सड़क हादसों में मरने वालें लोगों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार मार्च महीने में अभी तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। यानी सिर्फ 13 दिनों में 20 लोगों सड़क हादसों में जान गवानी पड़ी है। ऐसे में सड़क हादसों पर लगाम लगाना बहुत जरूरी है। हालांकि प्रदेश में सड़क हादसों को रोकने के लिए परिवहन विभाग, पुलिस विभाग, लोक निर्माण विभाग अपने अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन सड़क हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। बताया जाता है कि हिमाचल प्रदेश में 95 प्रतिशत सड़क हादसे मानवीय भूल के कारण होते हैं। प्रदेश में प्रतिवर्ष औसतन 3000 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1200 लोगों की मृत्यु होती है और 5000 लोग घायल होते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 19 लाख वाहन पंजीकृत हैं, जिनमें 10 लाख से अधिक संख्या दो पहिया वाहनों की है। उच्चतम न्यायालय द्वारा सड़क सुरक्षा पर गठित समिति के दिशा-निर्देशों के अनुसार 2019 में परिवहन निदेशालय शिमला में सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। यह कमेट भी लोगों लगातार जागरूक कर रही हैं, लेकिन लोगों को इस दिशा में सोचने की आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश में बीते तीन सालों में सड़क हादसों में 3174 लोगों की मौत हुई है। दुर्घटनाएं रोकने के लिए सरकार ने पुलिस व परिवहन के माध्यम से आवश्यक कदम उठाए हैं। तीन साल में 4079 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं। इसमें 74 ब्लैक, 1320 संवेदनशील और 2685 संभावित ब्लैक स्पॉट शामिल हैं। सड़क सुरक्षा फंड में 2019-20 में 40 करोड़, 2020-21 में 40.15 करोड़, वर्ष 2021-22 में 50.50 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
कहां, कितनी मौतें
बिलासपुर 02
चंबा 00
हमीरपुर 03
कांगड़ा 01
किन्नौर 00
कुल्लु 01
लाहुल 01
मंडी 03
शिमला 02
सिरमौर 01
सोलन 05
ऊना 01