शिमला
बिना पद सृजित किए पूर्व सरकार ने प्रदेश में 21 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी खोलने का एलान किया, लेकिन हैरानी की बात है कि 4 साल से ज्यादा अरसा बीत जाने के बाद भी यहां पद सृजित नहीं किए गए। पूर्व सरकार ने अपने समय में जाते-जाते धड़ाधड़ एलान किए और कैबिनेट के फैसले भी बिना पदों के सृजन किए करवा दिए गए। इसके बाद भी जो पद भरे जाने थे वे नहीं भरे जा सके। हालांकि इन आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों में स्टाफ भेजा गया, लेकिन सिर्फ काम चलाने के लिए। यहां पर एक भी पद सृजित नहीं था जबकि कोई भी सरकारी दफ्तर खुलता है तो पहले वहां कर्मचारियों के पदों का सृजन किया जाता है।
मगर पूर्व सरकार ने जल्दबाजी में कुछ ऐसे एलान कर दिए जिनके लिए कोई प्रशासनिक प्रावधान नहीं था। यह मामला आज सामने आया है जब आयुष विभाग ने वित्त विभाग को पदों के सृजन का मामला भेजा है। फाइल वित्त विभाग के पास गई है जहां पर ऐसे मामले की खूब चर्चा भी हो रही है। पूर्व सरकार पर ऐसे कई आरोप लगे थे कि उसने बिना किसी प्रावधान के एलान कर दिए। कहीं उद्घाटन कर दिए तो कहीं शिलान्यास कर दिए मगर प्रावधान नहीं था।
ऐसे सैकड़ों संस्थान शिक्षा क्षेत्र में खोलने का एलान हुआ जिसके लिए बजट का ही प्रावधान नहीं था। अब बजट प्रावधान के अलावा पदों के सृजन का मामला भी सामने आया है। आयुष विभाग की 21 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी का मामला वित्त महकमे को भेजा गया है। कहा गया है कि इनमें न तो डॉक्टर है न ही फार्मासिस्ट। कई बार यहां स्टाफ को दूसरे क्षेत्रों से भेजा जाता है ताकि काम चल सके। हैरानी की बात है कि वर्तमान सरकार ने भी इन आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों जिनके लिए पदों का कोई सृजन नहीं हुआ को बंद ही नहीं किया। सरकार चाहती तो इन्हें बंद कर सकती थी मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया। किसी न किसी तरह से इनका काम चलाने की कोशिश की गई। अब 4 साल के बाद विभाग की ओर से पदों के सृजन का मामला उठाया गया है जिस प्रस्ताव को कैबिनेट के पास भी भेजा जाएगा।
पूर्व सरकार के समय में शिमला, मंडी, हमीरपुर, सोलन, सिरमौर, चंबा, कांगड़ा व ऊना जिलों में आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों के एलान तत्कालीन सीएम स्व. वीरभद्र सिंह ने किए थे। उन्होंने अपनी जनसभाओं में इसके एलान किए और कैबिनेट से मंजूरियां भी दी गईं। मगर कैबिनेट ने भी बिना पद सृजन के मंजूरियां दे दीं जिससे यहां कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। उससे भी बड़ी बात यह है कि वर्तमान सरकार ने भी इन औषधालयों को बंद नहीं किया है।
आयुष डिस्पेंसरियों का बहुत महत्त्व
एलोपेथी डिस्पेंसरियों से अलग ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष की डिस्पेंसरी भी काफी महत्व रखती हैं। आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा के लिए लोग काफी रुझान रखते हैं जिनको बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए शहरों में या फिर शिमला आना पड़ता है। ऐसे में गांव में चिकित्सा सुविधा का अभाव नजर आता है। फिलहाल वित्त विभाग इस प्रस्ताव को मंजूरी कब तक देता है यह देखना होगा क्योंकि अगली कैबिनेट में यह मामला भेजने की सोची गई है।