हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में चिकित्सकों ने शुक्रवार से विरोध स्वरूप काले रिबन लगा कर काम करना शुरू कर दिया है.
शिमला. हिमाचल प्रदेश के अस्पतालों में काम कर रहे चिकित्सकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में चिकित्सकों ने शुक्रवार से विरोध स्वरूप काले रिबन लगा कर काम करना शुरू कर दिया है.
जानकारी के अनुसार स्टेट एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल टीचर आईजीएमसी के डॉक्टर शुक्रवार से काले बिल्ले लगाकर काम कर रहे हैं.साथ ही 4 अक्टूबर को सभी डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर जाएंगे, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. डॉक्टर अकादमिक भत्ता जारी करने की मांग कर रहे हैं.
सेमडिकोट के अध्यक्ष डॉ. राजेश सूद ने बताया कि सरकार ने स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का अकादमिक भत्ता 7500 से 18000 रुपये कर दिया है. इसका वे स्वागत करते हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेजों में काम करने वाले डॉक्टरों को अभी तक यह भत्ता नहीं दिया गया है. सरकार ने कमेटी बनाई थी, लेकिन इस कमेटी ने इस अकादमिक भते की अभी तक कोई सिफारिश नहीं की है. ऐसे में लगभग 250 डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेवारी सरकार की होगी.
गौर है कि आईजीएमसी में प्रदेशभर से मरीज रेफर किए जाते हैं. ऐसे में डॉक्टर के सामूहिक अवकाश पर जाने से मरीजों को इलाज नहीं मिल पाएगा और वार्डों में भी इससे दिक्कतें होगी. स्टेट एसेसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज टीचर्स (सेमडिकोट ) के उपाध्यक्ष डॉ . रामलाल, महासचिव डॉ. जीके वर्मा, सहसचिव डॉ. विनय सौम्या ने कहा कि आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी.
आईजीएमसी में हर रोज होती है 3000 ओपीडी
आईजीएमसी अस्पताल में रोजाना 3000 से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है. इसमें 100 से अधिक मरीज इमरजेंसी में इलाज करवाने आते हैं. इतने ही नए मरीज हर रोज अस्पताल में दाखिल किए जाते हैं. ऐसे में जूनियर डॉक्टरों के कंधों पर कार्यभार अधिक होने से मरीजों को दिक्कतें ही झेलनी पड़ेगी. प्रदेश भर से मरीजों के उपचार के लिए आने से यहां अक्सर भीड़ लगी रहती है.