30 रूपये दिन की मज़दूरी की, गरीबी के चलते घर छूटा, और अब 70 करोड़ रूपये साल का कमा रहे, जानिए कैसे

 यह हैरान करने वाला होता है की कोई मज़दूर आगे चलकर करोड़ो के व्यवसाय का मालिक बन जायें, ऐसा हम कभी गोविंदा की फिल्मों में देखा करते थे। परन्तु वह फिल्मे भी किसी न किसी के जीवन से प्रेरणा लेकर बनाई जाती है। बहुत ही काम सफल व्यवसाई बच्चन से ही अमीर होते है। बाकी की कहानी मेहनत और संघर्ष से भरी हुई है। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी (Story) बना रहे है।

40 साल के बोलापल्ली श्रीकांत (Shrikant) कड़ी मेहनत और पॉजिटिव एनर्जी की एक मिसाल है। जो उम्र खेलने और बढ़ने की होती है, उस 16 साल की उम्र में श्रीकांत ने एक फूलवाले के यहां नौकरी की। उनकी हर महीने की तनखाह 1000 रुपये थी। मतलब वे हर दिन के 30 रूपये कमा रहे थे। परन्तु आज वे करोड़पति बन गए है। आज उनका काल का टर्नओवर 70 करोड़ रूपए पहुँच गया है।

श्रीकांत ने 10वीं क्लास में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी और तेलंगाना (Telangana) के निजामाबाद जिले में बैंगलोर के बाहर नालमंगला में एक फेमस फूलों के खेत में काम करने लगे थे। उनका परिवार खेती से ही चलता था और कर्ज में दवा हुआ था। फिर उन्होंने आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई छोड़कर नौकरी करने का मन बनाया।

वह बैंगलोर के पास नलमंगला इलाके (Nelamangala Town) में 18 से 20 घंटे काम किया करते थे। लगातार दो साल तक काम करने के बाद, उन्होंने फूलों की खेती के व्यवसाय की सभी जानकारी और ज्ञान लिया था। श्रीकांत ने खेती, कटाई, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट की सभी जानकारी जुटा ली थी।

उस वक़्त 18 साल के श्रीकांत ने 20000 रुपये से अपना फूलों का रिटेल बिजनेस शुरू किया। उनके इस कदम से उनके परिवार वाले राज़ी नहीं थे, लेकिन उन्होंने पीछे नहीं देखा। उसके पिता को नुक्सान का भय था, क्योंकि वह चाहते थे, की बेटा अपने घर के खेत में ही काम करे। परन्तु श्रीकांत ने अपने फैसले और बिजनेस आईडिया पर भरोसा जताया।

श्रीकांत ने बैंगलोर के विल्सन गार्डन में अपनी स्वयं की फूलों की दुकान खोली। उन्होंने 200 वर्ग फुट जगह पर अपना व्यवसाय शुरू किया। उनकी दुकान का नाम ‘ओम श्री साई फ्लावर्स’ (Om Sri Sai Flowers) था। उन्होंने 2 सालों में अपना बिजनेस अच्छी अच्छे से खड़ा कर लिया।

आरम्भ में वे फूल व्यापारियों और थोक विक्रेताओं से फूल लेकर खुद पैक करके ग्राहकों तक पहुंचाते रहे और फिर इसके फूल इवेंट्स, बड़े होटलों, शादियों, पार्टियों और कार्यक्रमों में जाने लगे। अब उन्हें बड़े आर्डर मिलने लगे थे।

फिर इस सफलरा से उत्साहित होकर उन्होंने साल 2005 में फूलों की खेती पर विचार किया। डोडाबल्लापुर तालुका के तुबागेरे में 30 एकड़ जमीन लेकर, इसका नाम बदलकर श्रीकांत फार्म (Shrikant Farm) रखा। उन्होंने अपने फ्लोरीकल्चर बिजनेस (Flower Culture Business) का नाम वेन्साई फ्लोरिटेक कर दिया।

उन्होंने मात्र 6 एकड़ खेत में खेती शुरू की और फिर 2010 तक इसे बढ़ाकर 30 एकड़ कर दिया। इसमें मुनाफा होने पर उन्होंने तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर में 10 एकड़ और जमीन खरीदी। इसके लिए उन्होंने एक बैंक से 15 करोड़ रुपये का लोन लिया। इस रकम का इतेमाल उन्होंने अपने व्यवसाय (Shrikant Flower Garden) को बढ़ने में लगाया और इसका रिजल्ट भी सामने आने लगाअब वे अपने खेत के फूल का व्यवसाय (Flower Buisness) के लिए भी इस्तेमाल करने लगे। उनके फूलों की थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और नीदरलैंड में भी डिमांड है। उन्होंने 300 लोगो को रहगार दिया है, ये सभी कर्मचारी विल्सन गार्डन में उनके फार्म पर काम करते है। श्रीकांत अपने फार्म पर 80 कर्मचारियों के रहने का भी अरेंजमेंट कर रहे हैं।

जरा सोचिये की कभी साल के 12000 रुपए की नौकरी करने वाला लड़का आज 70 करोड़ रूपये के सालाना टर्न-ओवर का बिजनेस (70 Crore Turnover Business) कर रहा है। यह सब सही बिजनेस आईडिया (Business Idea) और खुद पर भरोसे से संभव हो पाया। कठिनाइयों से हारकर निराश होने के बजाए, उनसे जूझते हुए सही राह पर आगे बढ़ने से सफलता जरूर मिलती है।