हल्द्वानी. 1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन को लेकर हुई झड़प के दौरान 19 कुमाऊं रेजीमेंट के लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला बर्फीली तूफ़ान के चपेट में आकर शहीद हो गए थे. उस तूफ़ान में 19 जवान शहीद हुए थे, जिसमें से 14 के शव बरामद हो गए थे, लेकिन पांच शव नहीं मिले थे. 38 साल बाद जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर उनके घर हल्द्वानी पहुंचेगा. जिस समय चंद्रशेखर शहीद हुए थे उनकी उम्र 27 साल थी और उनकी दो बेटियां थीं 7 साल और 4 साल की. आज उनकी उम्र 45 और 42 साल है.
38 साल बाद सियाचिन में चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर मिला है. इसकी सूचना सेना की ओर से उनके परिजनों को दी गई है. बताया जा रहा है कि सोमवार को यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन उनका पार्थिव शरीर हल्द्वानी लाया जाएगा. इसके बाद सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बता दें कि शहीद चंद्रशेखर की पत्नी शांति देवी हल्द्वानी में धान मिल के पास सरस्वती विहार कॉलोनी में रहती हैं. 38 साल पहले जब उनके पति शहीद हुए थे तो उन्होंने बिना शव मिले ही रीति रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया था. शव न मिलने की वजह से शांति देवी और उनकी बेटियां उनका अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकी थीं. अब जब सेना की तरफ से सूचना दी गई है तो बेटियों को अपने पिता का चेहरा देखना नसीब हो सकेगा.गौरतलब है कि 1984 में सियाचिन को लेकर भारत और पाकिस्तान में ऑपरेशन मेघदूत के तहत 19 कुमाऊं रेजीमेंट के जवानों की एक टुकड़ी भेजी गई थी, लेकिन बर्फीले तूफ़ान की चपेट में आने से सभी शहीद हो गए थे, इसमें चंद्रशेखर हर्बोला भी शामिल थे. आज देश जब आजादी 76वीं वर्षगांठ मना रहा है तो शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचेगा.