4 गोली लगने के बाद भी नहीं छोड़ी बंदूक, आतंकियों पर शेर की तरह टूटे थे सूबेदार राजेंद्र प्रसाद भांबू

कृष्ण शेखावत, झुंझुनूं. राजस्थान के झुंझुनूं की अलीपुर पंचायत के मालीगांव में मातम पसरा है. मालीगांव अपने लाल सूबेदार राजेंद्र प्रसाद भांबू की शहादत की खबर के बाद से ही सन्नाटे में है. कश्मीर में दुश्मनों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए सूबेदार राजेंद्र प्रसाद भांबू के पिता भी सैनिक थे.

देश रक्षा में दी गई कुर्बानी के बाद शहीद सूबेदार राजेंद्र की शौर्यता के किस्से हर किसी की जुबान पर हैं. शहीद राजेंद्र प्रसाद भांबू के भाई राजेश कुमार भांबू ने बताया कि बुधवार रात को करीब आठ बजे उनके बड़े भाई राजेंद्र प्रसाद भांबू ने अपनी पत्नी तारामणि और बेटी से बातचीत की थी.

उस वक्त सबकुछ ठीक था. लेकिन रात को करीब डेढ़ बजे आतंकवादियों ने उनके आर्मी कैंप में घुसपैठ की. आतंकवादियों ने राजेंद्र प्रसाद भांबू को चार गोलियां मारी. इसके बाद भी राजेंद्र प्रसाद भांबू ने हिम्मत नहीं हारी और आतंकवादियों से लोहा लेते रहे. उन्होंने भी बराबर में आतंकवादियों को ढे़र किया. इसके बाद पांचवीं गोली उनके गर्दन पर लगी. जिससे वे वीरगति को प्राप्त हो गए. उन्होंने बताया कि उनके पिता बदरूराम भी आर्मी से रिटायर हैं. उनके भाई भी आर्मी में थे. इसलिए उनका बेटा और भतीजा भी आर्मी में जाने की तैयारी कर रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले माह ही राजेंद्र प्रसाद भांबू गांव आकर गए थे.

अपनी बड़ी बेटी प्रिंया की शादी को लेकर वे काफी उत्साहित थे. 28 फरवरी 2023 को रिटायरमेंट के बाद मार्च-अप्रेल 2023 में उन्होंने शादी को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थी. वहीं घर में भी निर्माण कार्य चल रहा था. जिसके चलते वे अगले महीने फिर से आने की बोलकर गए थे. ताकि वे खुद आकर घर का निर्माण कार्य अपनी देखरेख में करवाएं. लेकिन अब वे देश के लिए शहीद हो गए. गांव के जगदीश ने बताया कि राजेंद्र प्रसाद भांबू की शौर्यता कारगिल युद्ध से गांव में युवाओं के लिए प्रेरणास्पद है. राजेंद्र प्रसाद भांबू ने कारगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया था और दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे. राजेंद्र प्रसाद भांबू मालीगांव के तीसरे शहीद हैं. इससे पहले भी गांव के दो बेटों ने देश की सुरक्षा में अपना जान की बाजी लगा दी थी. राजेंद्र प्रसाद भांबू के पिता बदरूराम ने बताया कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा मां भारती की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है. शहीद के पिता ने भी 1965 और 1971 की लड़ाई लड़ी है.

उनके पिता का नाम बदरूराम है. जो आर्मी से रिटायर हैं. बदरूराम ने सेना में रहते हुए 1965 तथा 1971 की लड़ाई लड़ी. उनकी मां श्रवणीदेवी गृहिणी है. राजेंद्र प्रसाद वर्तमान में सूबेदार रैंक पर कार्यरत थे. वे 23 फरवरी 1995 को सेना में भर्ती हुए. राजेंद्र प्रसाद ने 1999 में कारगिल युद्ध भी पूरी बहादुरी से लड़ा और समय-समय पर आर्मी के अन्य ऑपरेशन में भी दुश्मनों को धूल चटाई. उनकी पत्नी तारामणि है. जिनके साथ उनकी शादी 6 जून 1993 को हुई. उनकी बड़ी बेटी प्रिया है. जिन्होंने एमएससी की है. उनकी सगाई भी हो गई है. मार्च-अप्रेल 2023 में शादी करने वाले थे. एक छोटी बेटी साक्षी है. जिसकी उम्र करीब 20 साल है. वहीं एक आठ साल का बेटा अंशुल है. राजेंद्रप्रसाद भांबू के छोटे भाई राजेश कुमार भांबू अध्यापक हैं.

अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब
राजौरी में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए झुंझुनूं के मालीगांव के लाडले सपूत शहीद राजेंद्र प्रसाद भांबू की शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान से उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया. सेना के जवानों ने पार्थिव देह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया. वहीं इससे पूर्व शहीद राजेन्द्र प्रसाद की शहादत अतिंम यात्रा निकाली गई. शुक्रवार देर रात सपूत राजेंद्र प्रसाद की पार्थिव देह चिड़ावा थाने पहुंची थी. जहां से शनिवार सुबह सेना के फूलों से सजे ट्रक में पार्थिव देह सम्मान के साथ रखकर शहादत यात्रा निकाली. इलाके के हजारों युवाओं द्वारा तिरंगा यात्रा के जरिए पार्थिव देह को मालीगांव लाया गया. शहादत यात्रा के दौरान पूरे रास्ते में लोगों ने लाड़ले के अंतिम दर्शन किए और शहादत को नमन कर शदासुमन अर्पित किए.