IMA की मुख्यधारा में शामिल हुए 40 कैडेट, चंबा के अर्श कुमार को गोल्ड

चंबा के अर्श कुमार को समारोह में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल से नवाजा गया। एसीसी में तीन साल के कड़े प्रशिक्षण और पढ़ाई के बाद ये कैडेट आईएमए की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं।

आईएमए में एसीसी की ग्रेजुएशन सेरेमनी के बाद कमांडेंट लेफ्टिनेंट हरेंद्र सिंह के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाते कैडेट्स।

आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) के 40 कैडेट भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) की मुख्यधारा में शामिल हो गए। शुक्रवार को आईएमए के चेटवुड हॉल में आयोजित एसीसी विंग के 119वें दीक्षांत समारोह में इन कैडेट्स को जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की डिग्री प्रदान की गई। चंबा के अर्श कुमार को समारोह में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल से नवाजा गया। एसीसी में तीन साल के कड़े प्रशिक्षण और पढ़ाई के बाद ये कैडेट आईएमए की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। अब इन्हें आईएमए में एक साल का प्रीमिलिट्री प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस अवसर पर आईएमए के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट को पुरस्कृत किया। जेएनयू की उपाधि पाने वालों में 

साइंस स्ट्रीम के 16 कैडेट और ह्यूमैनिटीज के 24 कैडेट शामिल रहे। कमांडेंट ने अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेट को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। जनरल सिंह ने कहा कि एसीसी के आदर्श वाक्य ‘ड्यूटी सर्वोच्च’ को मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में हमेशा याद रखें ताकि नेतृत्व के जरिये बेहतरीन उदाहरण स्थापित किया जा सके। अधीनस्थ कर्मी आपके आचरण और कार्यशैली को देखकर स्वयं ही उसके अनुसार कार्य करेंगे।

शारीरिक और मानसिक दृढ़ता की अहमियत भी उन्होंने कैडेट्स को समझाई। सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर भी जोर दिया। इससे पहले आईएमए के डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल आलोक जोशी ने कैडेट्स को उपाधि प्रदान की। एसीसी विंग के प्रधानाचार्य डॉ. नवीन कुमार ने कॉलेज की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। एसीसी के कमांडेंट ब्रिगेडियर शैलेश सती ने भी आईएमए की मुख्यधारा में शामिल हो रहे कैडेट्स को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कैडेट्स ने कोरोनाकाल की तमाम पाबंदियों और चुनौतियों के बावजूद अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। 

इन कैडेट्स को मिला समारोह में सम्मान 
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल : अर्श कुमार (चंबा, हिमाचल प्रदेश)
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ सिल्वर मेडल: अविनाश शर्मा (जेएंडके)
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ब्रॉन्ज मेडल: हरप्रीत सिंह (पठानकोट, पंजाब)
कमांडेंट बैनर : कारगिल कंपनी

सैनिक बनते हैं अफसर 
आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की नींव द किचनर कॉलेज के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिर्डवुड ने मध्यप्रदेश के नौगांव में रखी थी। 16 मई 1960 को किचनर कॉलेज आर्मी कैडेट कॉलेज के रूप में कार्य करने लगा। इसका शुभारंभ तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्णा और जनरल केएस थिमैया ने किया था। यहां कोर्स का पहला दीक्षांत समारोह 10 फरवरी 1961 को हुआ। वर्ष 1977 में कॉलेज को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया। वर्ष 2006 में कॉलेज अकादमी का अभिन्न अंग बन गया। एसीसी सैनिकों को अधिकारी बनने का मौका देता है। यहां से पास होकर कैडेट्स आईएमए में जेंटलमैन कैडेट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त कर सैन्य अफसर बनने की खूबियां अपने भीतर समाहित करते हैं।