सोलन में सीटू और एआईटीयूसी ने मिलकर श्रम कानून बहाल करने और श्रम संहिताओं के खिलाफ रैली का आयोजन किया जिसमे लगभग 400 लोगों ने भाग लिया। इस दौरान दोनों संगठनों के नेताओं केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला और मजदूर विरोधी नीतियां बनाने का भी आरोप लगाया।
● ये बोले एटक प्रदेशाध्यक्ष
वहीं एटक के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आवाह्न पर संयुक्त रूप से हिमाचल प्रदेश में मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन व हड़ताल कर रही है क्युंकि भारत के मजदूर वर्ग ने स्वतंत्रता के पहले व स्वतंत्रता के बाद अपने अनगिनत संघर्षों एवं बलिदानों के बाद अनेक अधिकार हासिल किए है। जिन्हें श्रम कानूनों के रूप में स्थापित किया गया है।
भारद्वाज ने कहा मोदी सरकार ने श्रम सुधारों के नाम पर 44 कानूनों को ख़त्म कर उनके स्थान पर 4 श्रम संहिताएं बनाई हैं, और ये (लेबर कोड) श्रम संहिताएं पूरी तरह कॉर्पोरेट / नियोजकों/ कारख़ाना मालिकों के पक्ष में है। इन कानूनों से ट्रेड यूनियन का संकल्प ही समाप्त कर दिया है l मजदूरों के काम के घण्टे बढ़ा दिए हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार की सुरक्षा पूरी तरह समाप्त कर दी है। अधिकतर मजदूरों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया है। मजदूरों की स्थिति फिर से गुलामों जैसी हो जाएगी।
● ये बोले सीटू जिलाध्यक्ष
सीटू के जिला अध्यक्ष मोहित वर्मा ने कहा कि संगठन राष्ट्रीय स्तर पर आज एकजुट होकर सरकार द्वारा मजदूरों के हक के 44 श्रम कानून खत्म करके 4 श्रम संहिताएँ लागू कर रही है जिससे मजदूरों के शोषण को बल मिला है। इसलिए सभी मजदूर संगठन एकजुट होकर सरकार से सभी श्रम कानूनाे को लागू करने की मांग कर रही है। बढ़ती मंहगाई व बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सरकार से इन पर रोक लगाने की मांग की।