CBSE बोर्ड का रिजल्ट आ चुका है. जिसके बाद से लगातार टॉप करने वाले छात्रों की कहानियां सामने आईं. इस बीच 12वीं के छात्र फहीम की कहानी दूसरों के लिए मिसाल हैं. दरअसल, फहीम दिल्ली के वेलकम इलाके के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता मोहम्मद जलालुद्दीन एक छोटी सी बेकरी शॉप चलाते हैं. वो एक छोटे से घर में अपने माता-पिता और 8 बहन-भाइयों के साथ गुजर बशर करते हैं.
पांच साल की उम्र में अपने पैर गंवा दिए थे
फहीम ने पांच साल की उम्र में अपने पैर गंवा दिए थे. वो पोलियो से पीड़ित हैं. परिवार बेटे की लाचारी को लेकर चिंता में था. लेकिन फहीम ने आज पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. फहीम ने न सिर्फ बारहवीं की परीक्षा में 77 प्रतिशत मार्क्स लाए, बल्कि दिव्यांग होने के बावजूद पढ़ाई के साथ-साथ विदेशों में भी झंडे गाड़ चुके हैं.
फहीम एक व्हीलचेयर बास्केटबाल खिलाड़ी हैं. जो सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई इंटरनेशनल मैच खेल चुके हैं. पहले बास्केटबाल को शौक की तौर खेलते थे, लेकिन बाद में इसे अपना जुनून बना लिया. ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट की मदद से राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय में दाखिला लिया. स्कूल ने भी इनका बहुत साथ दिया. इसके बाद उन्हें विदेशों में 5 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौक़ा मिला.
बारहवीं की परीक्षा में 77 प्रतिशत अंक ले आए
नेपाल में तीन मैचों की सीरिज में फहीम के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए मैन ऑफ द सीरिज चुना गया था. उन्होंने देश का परचम बुलंद कर दिया. विदेशों में भारतीय परचम लहराने वाले फहीम ने पढ़ाई पर भी फोकस किया. उन्होंने रोजाना 6 से 7 घंटे पढ़ाई की. यूट्यूब की मदद भी ली. सेल्फ स्टडी करते हुए 12वीं की परीक्षा में 77% अंक ले आए.