हाल ही में ISRO ने सफलतापूर्वक अपना रडार इमेजिंग उपग्रह EOS-04 लॉन्च किया. यह इसरो द्वारा 2022 का पहला लॉच है जिसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से अपने गनतव्य भेजा गया गया. स्पेस रिसर्च में भारत को गर्व के क्षण देने के लिए जितना योगदान पुरुष वैज्ञानिकों का है. उतना ही योगदान महिला वैज्ञानिकों का भी है. यही कारण है कि आज हम यहां आपको उन भारतीय महिला वैज्ञानिकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने Space रिसर्च में सफलता के झंडे गाड़कर देश को गौरवान्वित किया.
अनुराधा टीके
अनुराधा टीके ने इसरो में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया और कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स में विशेषज्ञता हासिल की. उन्होंने GSAT-12 और GSAT-10 सैटेलाइट के लॉन्चिंग के दौरान मिलकर काम किया और 1982 से इसका हिस्सा होने के बाद संगठन की सबसे वरिष्ठ महिला वैज्ञानिकों में से एक थीं. अनुराधा ने विभिन्न भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों का नेतृत्व किया था और इसरो टीम पुरस्कार 2012 और 2012 एएसआई- इसरो मेरिट अवार्ड
रितु करिधाल
डॉ. रितु करिधाल श्रीवास्तव India’s Mars orbital mission, मंगलयान की डेपुटी ऑपरेशन डायरेक्टर थीं और उन्होंने इस प्रोजेक्ट के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत की “रॉकेट वुमन” के रूप में संदर्भित, वह एक एयरोस्पेस इंजीनियर हैं और भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से 2007 में इसरो यंग साइंटिस्ट अवार्ड प्राप्त कर चुकी हैं.
मुथैया वनिता
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर, मुथैया वनिता ने इसरो में एक जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, जहां उन्होंने हार्डवेयर टेस्टिंग और डेवलेपमेंट पर काम किया. बाद में वह संगठन में 2013 में मंगल ग्रह पर मंगलयान मिशन सहित कई प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनीं. वह इसरो के चंद्रयान -2 चंद्र मिशन की पहली वुमेन प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी बनीं. उन्होंने कार्टोसैट -1, ओशनसैट -2 और मेघा-ट्रॉपिक्स सहित कई प्रोजेक्ट्स में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मौमिता दत्ता
भारतीय भौतिक विज्ञानी मौमिता दत्ता ने मार्स ऑर्बिटर मिशन डेवलेपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें मंगल ग्रह के लिए मीथेन सेंसर और संपूर्ण ऑप्टिकल सिस्टम के विकास के लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम सौंपा गया था। उनके काम के लिए, उन्हें मंगलयान के लिए इसरो टीम ऑफ एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था.
नंदिनी हरिनाथ
बेंगलुरु में इसरो के सैटेलाइट सेंटर में एक रॉकेट वैज्ञानिक, नंदिनी हरिनाथ ने मंगलयान के लिए डिज़ाइन डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर के रूप में काम किया और मार्स ऑर्बिटर मिशन के लिए अग्रणी महिला टीम में शामिल थीं. इसरो नंदिनी की पहली नौकरी थी और उन्होंने संगठन में काम करना जारी रखा है, विभिन्न प्रोजेक्ट्स में बहुत योगदान दिया है.
वी.आर. ललिताम्बिका
वीआर ललितांबिका इंडियन स्पेस एजेंसी के सबसे वरिष्ठ वैज्ञानिकों में से एक हैं और वर्तमान में भारतीय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम गगनयान की डायरेक्टर हैं, जो भारत का अंतरिक्ष मिशन है जिसे तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को कम से कम सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ललिताम्बिका 30 से अधिक वर्षों से इसरो से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने अंतरिक्ष रॉकेट कार्यक्रमों के निर्माण में एक अभिन्न भूमिका निभाई है