मुख्य सचिव रामसुभग सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में नर्सरी-केजी को भी दोपहर के भोजन की योजना में शामिल करने को मंजूरी दी गई। इस दौरान नर्सरी से आठवीं कक्षा तक 130 करोड़ का वार्षिक बजट प्लान केंद्र सरकार को भेजने को भी मंजूरी दी गई।
केंद्र सरकार ने मिड-डे मील योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना कर दिया है। वीरवार को हुई बैठक में सरकारी स्कूलों के करीब सवा पांच लाख विद्यार्थियों को दिए जाने वाले भोजन पर आने वाले खर्च और मिड-डे मील वर्करों के मानदेय को लेकर चर्चा की गई। हिमाचल सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए केंद्र सरकार से 130 करोड़ के वार्षिक बजट की मांग रखने का फैसला लिया है। निजी स्कूलों का मुकाबले करने के लिए सरकारी स्कूलों में नर्सरी और केजी कक्षा को शुरू किया गया है।
साल दर साल इन कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है। अब प्रदेश में चल रहे करीब चार हजार प्री प्राइमरी स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या 51 हजार तक पहुंच गई है। प्राइमरी कक्षाओं में प्रति विद्यार्थी सौ ग्राम चावल और अपर प्राइमरी में 150 ग्राम चावल दिए जाते हैं। कोरोना संकट के चलते वर्ष 2020 से स्कूलों में मध्यान भोजन नहीं पक रहा है। विद्यार्थियों को हर माह सूखा राशन दिया जाता है।