शिमला: प्रदेश में गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगने के मामले बढ़ने लगे हैं। प्रदेश में आए दिन जंगल आग से धधक रहे हैं। हलांकि आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीमें भी मुस्तैद हैं, लेकिन प्रदेश में कई जगह ऐसी हैं जहां दमकल विभाग की गाडिय़ां नहीं पहुंच पाती, जिसके कारण फायर ब्रिगेड की टीम को आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। इस बार गर्मी के मौसम में आगजनी से करोड़ों की वन संपदा खाक हो गई है।
डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर अनीश कुमार शर्मा ने बताया कि प्रदेश में आगजनी के 650 मामलें आ चुके हैं। इस बार आगजनी की चपेट में 25 से 30 हजार हेक्टेयर के करीब वनभूमि को नुकसान हुआ है। करोड़ो की वन संपदा जलकर खाक हुई हैं। उन्होंने बताया कि आगजनी की अधिकतर घटनाएं चील के जंगलों जिनमें बिलासपुर हमीरपुर, कांगड़ा जिला शिमला के निचले भागों अधिक हुई है।
लोग बीड़ी और अन्य गलता हुए पदार्थ इधर-उधर फेंक देते हैं जिससे जंगलों में आग भड़क जाती है। उन्होंने कहा कि लोगों को गलतफहमी भी होती है कि आग लगाने से उनकी जमीन में अच्छी घास उगेगी लेकिन ऐसा नहीं होता है। आग से जमीन के जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं जिससे कुछ वर्ष बाद जमीन बंजर हो जाती है। वन विभाग की स्पेशल टीमें आग बुझाने को तैनात रहती है।
उन्होंने कहा कि आगजनी से जो नुकसान होता है उसका आकलन नहीं किया जा सकता। इसमें लाखों जीव जंतु मारे जाते हैं पर्यावरण को भारी नुकसान होता हैं जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ठीक नही हैं। विभाग लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करने का काम लगातार करता हैं। मुश्किल जगहों में हेलीकॉप्टर से आग बुझाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह काफी एक्सपेंसिव है इसके लिए सारी तकनीक का होना आवश्यक है इस तरह का प्रयोग नहीं किया गया है।