पोते के अंतिम संस्कार की आस लिये घूम रहा 70 साल का बुजुर्ग, साढ़े 3 साल से थाने में जमा है खोपड़ी

चित्तौड़गढ़. कहते हैं कि हर बुजुर्ग की इच्छा होती है कि उसकी अंतिम यात्रा में उसके बच्चे उसे कंधा दें और श्मशान तक ले जाए. लेकिन राजस्थान के चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) में एक बुजुर्ग की व्यथा सुनकर आपका कलेजा कांप जायेगा. करीब 70 साल का यह बुजुर्ग अपने पोते के अंतिम संस्कार (Funeral) के लिये करीब चार साल से शासन प्रशासन के पास चक्कर लगा रहा है. इस बुजुर्ग के पोते की खोपड़ी बीते साढ़े तीन साल से कनेरा थाने के मालखाने में बंद पड़ी है. देखने और सुनने में यह बात भले ही आपको अजीब लगे लेकिन यह सच है. यह बुजुर्ग पोते के शेष अंगों की बरामदगी और उसके गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिये सरकार से गुहार कर रहा है.

चित्तौड़गढ़ के बुजुर्ग औंकारलाल का पोता वर्ष 2016 में लापता हुआ था. वर्ष 2018 में उसकी खोपड़ी मिली थी.

इस बुजुर्ग का नाम है ओंकार लाल चारण है. यह कलक्ट्रेट में चक्कर ना तो किसी जमीन के लिए लगा रहा है ना इसे पेंशन की दरकार है. यह तो बस इतना चाहता है कि पुलिस प्रशासन उसके पोते के शेष अंगों की बरामदगी करवा दे ताकि वह थाने से उसकी खोपड़ी लेकर अंतिम संस्कार कर सके. दरअसल, ओंकारलाल का पोता योगेश चारण वर्ष 2016 में घर से निकला था लेकिन उसके बाद वह फिर कभी घर नहीं लौटा. पुलिस ने पहले तो इसकी रिपोर्ट ही दर्ज नहीं की. करीब आठ दिन बाद काफी हाथाजोड़ी करने के बाद कनेरा थाने में योगेन्द्र की गुमशुदगी दर्ज की गई. लेकिन दो साल तक उसमें कोई कार्रवाई नहीं की.

दो साल बाद खेत में मिली खोपड़ी, डीएनए टेस्ट से हुई पुष्टि
दो बाद वर्ष 2018 में एक खेत में काम करने के दौरान खोपड़ी बरामद हुई. यह खोपड़ी औंकारलाल के पारिवारिक रंजिश वाले परिवार के खेत में मिली थी. पुराने विवाद के चलते बुजुर्ग ने आशंका जताई कि यह खोपड़ी उसके पोते की हो सकती है. पुलिस और प्रशासन के चक्कर लगाने और काफी माथापच्ची के 3 महीने बाद उस खोपड़ी का डीएनए टेस्ट कराने के आदेश हुये. जांच के दौरान तीन बार सैम्पल फेल हो गये. चौथी बार में खोपड़ी का डीएनए योगेन्द्र के माता-पिता से मैच कर गया. उसके बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि यह खोपड़ी उसके गायब हुए पोते योगेंद्र की है. उसके बाद इस केस में हत्या का मामला दर्ज किया गया.

थाने से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक यह गुहार लगा चुका है
बाद में मृतक योगेंद्र की खोपड़ी को थाने में जमा कर दिया गया. लेकिन उसके शरीर के बाकी हिस्से अब तक गायब हैं. उसके बाद से दादा औंकारलाल पोते योगेन्द्र के शरीर के बाकी हिस्सों की बरामदगी और उसके हत्यारों को सजा दिलाने के लिए शासन-प्रशासन के आगे हाथ पांव जोड़ता फिर रहा है. इसके लिये सिस्टम से लड़ रहा है. औंकारलाल थाने से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक गुहार लगा चुका है. लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही है.

कलेक्टर से की सीबीआई जांच करवाने की मांग
अब एक बार फिर बुजुर्ग औंकारलाल ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर मामले की सीबीआई जांच करवाकर उसे न्याय दिलाने की गुहार की है. बुजुर्ग औंकारलाल को इंतजार है कि उसे उसके पोते के शेष अंग बरामद करा दिये जायें ताकि वह थाने खोपड़ी लेकर उसका अंतिम संस्कार कर सके.