भारत की 71% आबादी पौष्टिक खाना नहीं खरीद सकती, कुपोषण से लाखों की मौत, जानिए कितनी भयावह है स्थिति

मछली, दूध-दही, पनीर और मीट आदि का सेवन कर पाना लोगों के बस से बाहर की बात हो गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 20 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को करीब 36 ग्राम फल ही रोजाना मिल पाता है जबकि यह 200 ग्राम रोजाना लिया जाना चाहिए.

कुपोषण से मौत

भारत में कुपोषण की वजह से सालाना लाखों लोगों की मौत होती है

नई दिल्ली: भारत की 70 फ़ीसदी आबादी पौष्टिक भोजन नहीं खरीद सकती. भारत में कुपोषण और उसकी वजह से होने वाली बीमारियों की वजह से हर साल 17 लाख लोगों की मौत हो जाती है. हाल में ही सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट और डाउन टू अर्थ मैगजीन की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. कुपोषण की वजह से होने वाली बीमारियों में सांस संबंधी परेशानी, डायबिटीज, कैंसर, स्ट्रोक और कोरोनारी हार्ट डिजीज आदि शामिल है. इस रिपोर्ट के मुताबिक हेल्दी डाइट में शामिल चीज भारत के 63 फ़ीसदी लोगों की पहुंच से बाहर है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फल, सब्जियों और मीट आदि जैसी चीजें खरीदने में जो लागत आती हैं, उतनी देश की बड़ी आबादी की आमदनी नहीं है. ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट 2021 के मुताबिक भारत की 71 फ़ीसदी आबादी पौष्टिक भोजन खरीदने के लायक नहीं है. इस मामले में दुनिया का औसत 42 फीसदी है. अगर पौष्टिक भोजन की बात करें तो इसमें फल, सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स और मीट-फिश आदि शामिल है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मछली, दूध-दही, पनीर और मीट आदि का सेवन कर पाना लोगों के बस से बाहर की बात हो गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 20 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को करीब 36 ग्राम फल ही रोजाना मिल पाता है जबकि यह 200 ग्राम रोजाना लिया जाना चाहिए.

इसके साथ ही सब्जियों की मात्रा रोजाना 300 ग्राम की जगह 168 ग्राम ही मिल पाती है. अगर खाने की बात करें तो भारत की ज्यादातर आबादी पौष्टिक खाने के रोजाना टारगेट का एक चौथाई भी पूरा नहीं कर पाती. पिछले कुछ सालों में हालांकि इस मामले में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन लोगों तक पौष्टिक खाना पहुंचाने की कवायद अब भी सफल होती नहीं दिख रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई बढ़ने की वजह से पिछले 2 साल में लोगों की पहुंच से पौष्टिक खाना बाहर हो गया है. कंजूमर फूड प्राइस इंडेक्स इन्फ्लेशन 1 साल में 327 फ़ीसदी बढ़ा है जबकि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में 84 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में वृद्धि की सबसे बड़ी वजह खाने पीने की चीजों के भाव में आई बढ़ोतरी है.