ना थके कभी पैर ना कभी हिम्मत हारी है हौसला है जिंदगी में कुछ कर दिखाने का में इसलिए अभी भी सफर जारी है……यह शब्द हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के कंडाघाट की रहने वाली 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला शारदा की जीवनी को सार्थक करते हैं। 72 वर्षीय शारदा अकेले रहकर खुद को अकेला महसूस नहीं होने देती है, अपने शौक को अपना हौसला बनाकर वे दूसरों के घरों में मोमबत्ती का प्रकाश बनकर उजाला करती है। साल 2007 में सीएचटी पद से रिटायर शारदा मोमबत्ती बनाकर खुद के।शौक को पूरा कर रही है,दिवाली का त्यौहार है और ऐसे में दिवाली के लिए लोग जमकर शारदा के बनाए हाथों से रंग बिरंगी मोमबत्तियां लेकर अपने घरों को चमकाने की तैयारी कर रहे हैं।
शारदा ने बातचीत के दौरान बताया कि उनकी उम्र 72 वर्षीय है लेकिन वह शौक के लिए और खुद को फिट रखने के लिए
मोमबत्ती बनाने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि वे साल 1995 से मोमबत्ती बनाने का कार्य करती आ रही है और वह 53 प्रकार के रंग बिरंगी मोमबत्तियां बनाती है। उन्होंने कहा कि वे एक अच्छे मोम से वे मोमबत्तियां तैयार करती है जिसे लोग बेहद ज्यादा पसंद करते हैं,शारदा ने बताया कि उनकी मोमबत्तियां लोग फोन करके भी उनसे मंगवाते है,उन्होंने कहा कि वह घर पर ही मोमबत्तियां बनाती है और कई बार वे ऑफिस में जाकर भी खुद मोमबत्तियां लोगों को देती है।
शारदा ने बताया कि उनके पास ₹5 से लेकर ₹700 तक की मोमबत्ती मिलती है और वे कंडाघाट में स्वयं सहायता समूह से भी जुड़े हैं इसलिए बीडियो ब्लॉक से भी उन्हें एग्जीबिशन लगाने और स्टॉल लगाने का मौका मिल जाता है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोगों को आत्मनिर्भर बनने के लिए
प्रोत्साहित करते हैं उसी के तहत वह भी लगातार मोमबत्ती बनाने का कार्य करके पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल का सपना सार्थक रही है।
शारदा का कहना है कि आज के दौर में महिलाएं अकेला रहकर जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाती है लेकिन उन्हें अपने शौक को जिंदा रखकर उन्हें पूरा करना चाहिए। शारदा ने बताया कि वे जुलाई माह से मोमबत्तियां बनाना शुरु करती है उनके पास 53 प्रकार की मोमबत्तियां बनती है इसके लिए समय भी ज्यादा लगता है कि वे अभी तक रुपए ₹7000 ₹8000 की मोमबत्तियां बेच चुकी है।
उन्होंने कहा कि वे जन्मदिन पर विशेष मोमबत्तियां, गिफ्ट देने के लिए अलग मोमबत्ती और दिवाली के लिए अलग मोमबत्तियां तैयार करती है, उन्होंने कहा कि उनके द्वारा तैयार किए जाने वाले मोमबत्ती के डिजाइन बाजार में मिलने वाली मोमबत्तियों से अलग होते हैं इसके लिए लोग उसे ज्यादा पसंद करते हैं और उससे खरीदते भी है।
जो कुछ भी हो लेकिन 72 वर्षीय शारदा उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो अपने अकेलेपन की वजह से अपने शौक को मार देते हैं लेकिन शारदा लोगों से यही अपील करती हैं कि वे लोग अपने शौक को जिंदा रखें क्योंकि उनके शौक ही उनके जीने का हौसला बन सकते हैं।