कांगड़ा, चंबा और बिलासपुर में बेसहारा पशुओं को मिलेगा आश्र
हिमाचल प्रदेश सरकार बेसहारा पशुओं की समस्या के स्थायी समाधान के लिए अगले माह जून तक 11.20 करोड़ रुपये की लागत से चम्बा, कांगड़ा तथा बिलासपुर जिलों में आठ नये गौसदन संचालित करेगी। इसमें लगभग 9000 कमजोर, वृद्ध तथा निराश्रय गौधन को आश्रय मिलेगा जिससे बेसहारा पशुओं की समस्या के स्थायी समाधान को बल मिलेगा। राज्य के पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि राज्य सरकार कांगड़ा जिला के खबल में 2,67,34,000 रुपये, कंगघिन में 1,87,100 रुपये, मरहून में 1,17,00,000 रुपये, कुदान में 2,92,16,600 रुपये, नगरोटा बगवां में 35,00,000 रुपये, चंबा जिला के मझीर में 1,66,76,426 रुपये तथा बिलासपुर जिला के गसोता में 53,41,800 रुपये की लागत से निर्माणाधीन गौशालाओं का कार्य जून तक पूरा कर लेगी। इससे बेसहारा गायों, पशुधन को प्राकृतिक शांत वातावरण में आश्रय प्रदान किया जा सकेगा।
पशु पालन मंत्री ने बताया कि 50 कनाल भूमि क्षेत्र में 400 कनाल भूमि क्षेत्र पर निर्माणाधीन गौशालाओं का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उन्हें स्थानीय एसडीएम की अध्यक्षता में गठित स्थानीय प्रबंधन समितियों के तत्वावधान में संचालित किया जाएगा। पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि राज्य सरकार गोपाल योजना के अंतर्गत गौशालाओं को पहली अप्रैल से सात सौ रुपया प्रति पशुधन, प्रतिमाह सहायता राशि प्रदान कर रही है ताकि चारे/भूसे की कीमतों में बढ़ोतरी, महामारी के दौरान दान में आई कमी तथा महंगाई से खर्चों में बढ़ोतरी की भरपाई की जा सके।
राज्य सरकार गौशालाओं को आर्थिक रुप से स्वावलंबी बनाने के लिए वार्षिक 7.5 करोड़ रुपये ग्रांट इन एड प्रदान कर रही है जबकि शराब की बिक्री पर लगाए गए सेस से गौसदनों को लगभग 12 करोड़ रुपये वार्षिक धन राशि एकत्रित की जाएगी। हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग ने धार्मिक प्रवृति के नागरिकों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों, कॉरपोरेट घरानों से दान इकट्ठा करने के लिए अपनी वेबसाइट के माध्यम से अभियान शुरू किया है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
क्या कहते हैं पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर
राज्य के पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि इस समय राज्य में संचालित 197 गौशालाओं एवं 8 बड़ी गाय अभ्यारणों, सेंक्चुरीज के माध्यम से 20252 बेसहारा, बीमार, वृद्ध गायों, पशुधन को सुरक्षित आरामदेह आश्रय प्रदान किया गया है। जबकि इस समय सड़कों पर 10,253 गौवंश, पशुधन को निर्माणाधीन गौशालाओं तथा संचालित गौशालाओं की क्षमता को बढ़ाकर प्राकृतिक वातावरण में आश्रय प्रदान किया जाएगा। इससें राज्य में बेसहारा पशुओं का स्थायी समाधान चालू वर्ष के अंत तक ढूंढ लिया जाएगा।
200 गौसदनों में से 197 कार्यान्वित
राज्य में 31 मार्च तक कुल 220 गौसदन हैं जिसमें से 197 कार्यान्वित हैं। राज्य में नए बड़े गौसदनों के निर्माण तथा पुराने गौ सदनों की क्षमता बढ़ाने पर अभी तक 31,41,01,000 रुपये की धनराशि खर्च की जा चुकी है।