बच्चों को पसंद होता है खेलना, घूमना, तरह तरह का खाना खाना. इन्होंने अगर एक चीज के लिए ज़िद कर दी तो तब तक शांत नहीं होते जबतक उन्हें वो मिल न जाए. वहीं एक सन्यासी अपनी सारी इच्छाओं को शांत कर लेता है. दोनों के बीच भला कैसा मेल? लेकिन गुजरात के एक धनी हीरा व्यापारी की आठ वर्षीय बेटी ने बचपन और सन्यास का मेल करा दिया है.
8 साल की उम्र में लिया सन्यास
हीरा कारोबारी की 8 वर्षीय बेटी देवांशी ने अपनी आलीशान जिंदगी त्याग कर संन्यासी बनने का फैसला लिया है. इसके लिए इस बच्ची ने हजारों लोगों की मौजूदगी में बुधवार सुबह छह बजे से अपनी दीक्षा शुरू की है. अपनी दो बहनों में बड़ी देवांशी जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा ले रही हैं. देवांशी की दीक्षा के लिए निकाला गया जुलूस इतना भव्य था कि लोग देखते रह गए. सूरत में देवांशी की वर्षीदान यात्रा में 4 हाथी, 20 घोड़े, 11 ऊंट शामिल थे. इससे पहले मुंबई और एंट्वर्प में भी देवांशी की वर्षीदान यात्रा निकली थी.
विदेशों में निकाला भव्य जुलूस
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देवांशी के परिवार ने बेल्जियम में भी एक जुलूस का आयोजन किया था. बता दें कि ये एक ऐसा देश है जो जैन समुदाय के कई हीरा व्यापारियों का घर है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देवांशी के लिए ये सात्विक जीवन नया नहीं होगा, वह बचपन से ही, अपने परिवार के अन्य सदस्यों की तरह दिन में तीन बार प्रार्थना करती रही है और उसने एक साधारण जीवन व्यतीत किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देवांशी के परिवार के ही स्व. ताराचंद का भी धर्म के क्षेत्र में एक विशेष स्थान था. उन्होंने श्री सम्मेदशिखर का भव्य संघ निकाला और आबू की पहाडिय़ों के नीचे संघवी भेरूतारक तीर्थ का निर्माण करवाया था.
बचपन से बिताया सात्विक जीवन
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हैरान करने वाली बात यी है कि एक तरफ जहां बच्चे टीवी, मोबाइल आदि देखे बिना और बाहर घूमे बिना नहीं रह सकते, वहीं देवांशी ने कभी टीवी, या फिल्में नहीं देखीं. इसके साथ ही वह कभी रेस्टोरेंट या विवाह समारोहों में में शामिल नहीं हुईं. देवांशी ने अब तक 367 दीक्षा कार्यक्रमों में भाग लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार परिवार के मित्र ने पुष्टि की है कि एक बड़े बिजनेस के मालिक होने के बावजूद, ये परिवार एक साधारण जीवन जीता है.
5 भाषाओं की जानकार हैं देवांशी
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धनेश सांघवी और उनकी पत्नी अमी की बड़ी बेटी देवांशी 5 भाषाओं की जानकार है. वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में एक्सपर्ट है. देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ कंठस्थ हैं. वहीं बात करें उनके परिवार की तो, ये संघवी एंड संस नाम की हीरा कंपनी चलाता है, जो दुनिया की सबसे पुरानी हीरा कंपनियों में से एक है. वयस्क होने पर देवांशी को विरासत में करोड़ों का हीरा कारोबार मिलने वाला था लेकिन उन्होंने इस संपत्ति का त्याग करते हुए आठ की उम्र में ही विलासिता को त्याग कर संन्यास ग्रहण कर लिया.