US India Visa Appointment Crisis S 400: अमेरिका का वीजा मिलना भारतीयों के लिए सपना सच होने जैसा होता जा रहा है। अमेरिका वीजा के लिए इंटरव्यू का वेटिंग 800 दिन के पार चला गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह अमेरिका की भारतीयों को वीजा में देरी जानबूझकर उठाई गई नीति लग रही है जिसके लिए S-400 डील एक प्रमुख वजह है।
अंतरराष्ट्री मामलों के विशेषज्ञ प्रफेसर एमडी नलपत के द संडे गार्डियन में छपे लेख के मुताबिक अमेरिका के धुर विरोधी चीन में किसी भी व्यक्ति को मात्र दो दिन में वीजा इंटरव्यू का डेट मिल जा रहा है, वहीं भारतीयों को दो साल से भी ज्यादा समय का वेटिंग पीरियड बताया जा रहा है। अमेरिका का दावा है कि कोविड के दौरान दूतावास के स्टाफ को कम कर दिया गया था, यही वजह है कि वीजा इंटरव्यू की डेट मिलने में देरी हो रही है। नलपत ने कहा कि वीजा में आनकानी करने की चाल के पीछे विक्टोरिया नूलैंड हैं।
भारत ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री की मांग को खारिज किया
उन्होंने कहा कि यह वही विक्टोरिया नूलैंड हैं जिन्होंने इस साल के शुरुआत में नई दिल्ली की यात्रा की थी और भारत से रूस एस-400 डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति नहीं लेने के लिए कहा था। भारत ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री की मांग को खारिज कर दिया था और रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम लिया था। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के इस कदम से रूस के खिलाफ अभियान चलाने वाली विक्टोरिया नूलैंड नाराज हो गई थीं। प्रफेसर नलपत ने कहा कि अगर अमेरिकी विदेश मंत्री वीजा नहीं देने की जांच करवाएं तो इस पूरे रैकेट में शामिल लोगों की भूमिका खुलकर सामने आ जाएगी।
प्रफेसर नलपत ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच नागरिकों की यात्रा अब लगभग असंभव होती जा रही है। उन्होंने कहा कि भारतीयों को वीजा नहीं देने की अमेरिकी नीति नई दिल्ली को एस-400 और यूक्रेन पर अमेरिका के रुख को नहीं मानने की सामूहिक सजा है। अमेरिका के वीजा नहीं देने से भारतीय अपनों की शादी, पर्यटन, जरूरी काम के लिए वहां जा नहीं पा रहे हैं। इस तरह से भारतीयों और अमेरिकी लोगों के बीच संपर्क कट सा गया है। वह भी तब जब चीन के ज्यादातर शहरों में यह आसानी से उपलब्ध है।
‘अमेरिका ने गोपनीय तरीके से जानबूझकर यह वीजा बैन लगाया’
भारतीय विशेषज्ञ ने कहा कि ऐसा लगता है कि एंटनी ब्लिंकन के मंत्रालय ने गोपनीय तरीके से जानबूझकर यह वीजा बैन लगाया है। अमेरिका के इशारे पर जापान और दक्षिण कोरिया चल रहे हैं, वहां कोई दिक्कत नहीं है लेकिन भारतीयों को मुसीबत झेलना पड़ रहा है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और जार्ज डब्ल्यू बुश ने इराक के खिलाफ भी इसी तरह के अमानवीय प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका के इस रुख से भारत में काफी नाराजगी है लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं हो पा रहा है।