उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के नैनी जेल में हत्या के 9 आरोपी शिक्षा के जरिए साथी कैदियों का भविष्य संवारने में लगे हैं। वे ग्रेजुएशन, मास्टर्स या डिप्लोमा करने की इच्छा रखने वाले कैदियों को न सिर्फ पढ़ाते हैं बल्कि उन्हें कोर्स में दाखिले के लिए जरूरी कागजी मदद भी करते हैं।
प्रयागराजः राजेश कुमार अपनी 46 साल की उम्र में कभी स्कूल नहीं गए थे। अप्रैल 2022 तक वर्णमाला के काले अक्षर उनके भैंस बराबर ही थे, जब तक कि उनकी प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा नैनी सेंट्रल जेल प्रयागराज के सर्कल-1 की कक्षा में शुरू नहीं हुई थी। उनके गुरु आशीष कुमार उनसे बहुत छोटे हैं, जो मास्टर्स कर चुके हैं और हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं। आशीष कुमार के सभी छात्र अंडर ट्रायल हैं। राजेश पर खुद रेप और हत्या के आरोप लगे हैं।
नैनी सेंट्रल जेल प्रयागराज का वह कारागार है, जिसमें आजादी की लड़ाई के दौरान मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, जीबी पंत और नरेंद्र देव जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को रखा गया था। उसी नैनी जेल में अब हत्या के 9 आरोपी अपने साथी कैदियों का जीवन शिक्षा के माध्यम से बदलने में मदद कर रहे हैं। सरकार की ओर से नियुक्त तीन शिक्षकों की मदद से वे सैकड़ों कैदियों के लिए दिन में दो बार क्लासेज लगाते हैं।
निरक्षर से लेकर कम पढ़े-लिखों की भी क्लास
नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक पीएन पांडे कहते हैं कि जेल परिसर में 841 कैदियों ने पढ़ाई के लिए नामांकन कराया है। इनमें से 124 निरक्षर हैं, 89 कक्षा 5-8 तक पढ़े हैं और 628 स्नातक (ग्रेजुएशन), स्नातकोत्तर (मास्टर्स) और डिप्लोमा जैसे कोर्स के लिए अध्ययन कर रहे हैं। 32 साल के जयराज सिंह कैदी शिक्षकों में से एक हैं। वह एक डबल पीजी है। मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) और मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (एमपीए) में उन्होंने एमए किया है।
सिविल सेवा की तैयारी कर रहे थे, लग गए हत्या के आरोप
जयराज तब सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, जब 7 साल पहले उन्हें भूमि विवाद में अपने पड़ोसी की हत्या के आरोप में जेल भेजा गया था। जयराज का दावा है कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। हालांकि, इन सबके बावजूद उन्होंने जेल में बैठकर अपने भाग्य पर रोने की बजाय अन्य कैदियों की मदद करने का फैसला किया। जयराज कहते हैं कि यहां आने के बाद मैंने देखा कि बड़ी संख्या में कैदी ऐसे हैं, जिन्हों अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। वे अपनी ग्रेजुएशन औरमास्टर्स की पढ़ाई पूरी करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने जेल अधिकारियों के साथ अपनी योजना पर चर्चा की। अधिकारी भी इस पर तुरंत सहमत हो गए।
अंग्रेजों के बनाए नैनी जेल में मौजूदा समय में 4 हजार 600 कैदी हैं। जयराज के स्पेशल क्लासेज से पहले भी जेल में तीन शिक्षकों के साथ एक स्कूल चल रहा था। लेकिन, जयराज ने कैदियों की न सिर्फ पढ़ाई में मदद की बल्कि उनके कोर्स के लिए इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए कागजी कामों में भी उनकी मदद की। जल्दी ही 8 अन्य मर्डर के आरोपियों ने भी उनका साथ देने का फैसला किया।
‘जीवन में शिक्षा का महत्व महसूस किया’
इनमें से एक कानपुर के रहने वाले अजय तिवारी भी थे। 37 साल के अजय ने 16 साल जेल में बिताए हैं। वह अंग्रेजी और हिंदी में डबल एमए हैं और अपनी कॉलोनी के एक व्यक्ति की कथित तौर पर हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार होने से पहले एक आईएएस ऐस्पिरेंट थे। अजय पिछले पांच साल से जेल में भाषा पढ़ा रहे हैं। तिवारी कहते हैं कि मैंने हर किसी के जीवन में शिक्षा के महत्व को महसूस किया है और इसलिए डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए ग्रेजुएशन, मास्टर्स या डिप्लोमा कोर्स को आगे बढ़ाने के इच्छुक लोगों को शिक्षित करने के लिए ये कदम उठाए हैं।
जेल में एजुकेशन ऐंड मैनेजमेंट ऑफ क्लासेज के इंचार्ज रामेश्वर प्रसाद कहते हैं कि जयराज और अजय के अलावा हत्या के दो अन्य आरोपी रवि दुबे और धर्मेंद्र शर्मा उन 628 कैदियों को शिक्षित करते हैं, जिन्होंने ग्रेजुएशन, मास्टर्स और डिप्लोमा कोर्स के लिए नामांकन किया है। 5 अन्य हत्या के आरोपी- मोहम्मद उमर, रोशन राज, हरिओम शुक्ला, आशीष कुमार और राजा भैया भी जेल में अनपढ़ कैदियों को गाइड करने का काम करते हैं।
जेल में पढ़ाते हुए पूरा किया ग्रेजुएशन
सुल्तानपुर के आशीष कुमार 2006 से जेल में बंद हैं। उन्होंने साल 2013 में खुद ग्रेजुएशन करते हुए जेल मे पढ़ाना शुरू किया था। उन्होंने अपना ग्रेजुएशन 2020 में इग्नू के जरिए पूरा किया। आशीष ने कहा कि मेरे सभी छात्र अपने प्राइमरी लेवल का एजुकेशन पूरा करने के बाद हायर एजुकेशन में दाखिला लेना चाहते हैं। प्रसाद बताते हैं कि अनपढ़ और एडवांस्ड स्टूडेंट्स को शिक्षित करने के लिए हत्या के 9 आरोपी काम करते हैं। वहीं दो महिलाओं समेत तीन नियुक्त सरकारी शिक्षक कक्षा 5-8 के ग्रुप के 89 छात्रों को पढ़ाते हैं।
प्रसाद बताते हैं कि जेल अधिकारी कैदियों को सभी स्टडी मटीरियल उपलब्ध कराते हैं। क्लासेज रोजाना सुबह 9 बजे से 11 बजे के बीच और फिर दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक चलती हैं। चूंकि जेल में स्टूडेंट्स और टीचर सभी वयस्क हैं तो इसका रिजल्ट भी खराब नहीं हैं। इस शैक्षणिक सत्र में 199 कैदी डिस्टेंस एजुकेशन कोर्स के जरिए विभिन्न परीक्षाओं में शामिल हुए और 91 पास भी हुए।