9 साल की लड़की ने कैंसर मरीज़ों के लिए खोल दी लाइब्रेरी, छोटी सी उम्र में बन गई प्रेरणा

एप्स, इन्फ़ोर्मेशन ओवरलोड और सेकेंड्स में जानकारी पाने इस दुनिया में लोग पढ़ना लगभग भूलते जा रहे हैं. अगर किसी से सवाल करो कि आख़िरी क़िताब कौन सी पढ़ी थी, संभावना यही है कि वो सकपका जाए या कह दे ‘एप्स से ही देख लेता हूं दुनिया में क्या चल रहा है.’ इंटरनेट दुनिया को क़रीब ले आया है लेकिन कहीं न कहीं स्क्रॉलिंग, पन्ने पलटने पर हावी हो गया है. इसमें दोष तकनीक का नहीं, हम इंसानों का ही है. जब बड़े नहीं पढ़ रहे है तो बच्चों में पढ़ना कम होना तो लाज़मी है.

9 year old sets up library for cancer patientsThe New Indian Express

The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, 9 साल की अकर्शना सतीश ने किताबों को अपनी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बना लिया. अकर्शना अब दूसरों में भी पढ़ने की इच्छा जगा रही है, लोगों को किताबों के पास ले जाने की कोशिश कर रही है.

अकर्शना ने MNJ Cancer Institute में एक लाइब्रेरी की स्थापना की है और लाइब्रेरी के लिए 1000 किताबें इकट्ठा की है. कैंसर इंस्टीट्यूट के बच्चों के लिए लाइब्रेरी बनाना अकर्शना का सपना था. बीते एक साल में उसने तेलुगू, अंग्रेज़ी, हिन्दी भाषाओं में और कुछ कलरिंग बुक्स (कुल 1036 किताबें) जमा की. इसमें अकर्शना के दोस्त और परिवारवालों ने भी उसकी मदद की.

9 year old sets up library for cancer patientsRepresentational Image/Unsplash

हैदराबाद कमिश्नर ऑफ़ पुलिस अंजनी कुमार ने उसकी तारीफ़ की है. कैंसर इंस्टीट्यूट के अधिकारियों ने भी अकर्शना की कोशिशों की तारीफ़ की और उसे स्मृतिचिन्ह दिया.