अंगदान को इसीलिए महादान कहा जाता है क्योंकि इससे किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है. ठीक उसी तरह जिस तरह दिल्ली में एक 5 साल के बच्चे को नई जिंदगी मिल गई. इसे नई जिंदगी देने का जरिया भी एक मासूम ही बना. दिल्ली के एम्स में ब्रेन डेड घोषित हो चुके बच्चे की किडनी इस 5 साल के बच्चे के लिए प्राण रक्षक बन गई.
16 महीने के बच्चे का अंगदान
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इस बच्चे को नई जिंदगी देने वाले मासूम की उम्र मात्र 16 महीने थी. इस मासूम को एम्स के डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. इस बच्चे के माता पिता ने फैसला लिया कि वो उसका अंगदान करेंगे. उनके इसी फैसले ने सोनीपत के रहने वाले 5 वर्षीय बच्चे को नई जिंदगी दिला दी. इस 5 वर्षीय बच्चे का हाल ही में दिल्ली के एम्स में एक सफल एन-ब्लॉक किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. इस सर्जरी के बाद ये बच्चा ऐसी प्रक्रिया से गुजरने वाला देश का सबसे कम उम्र का मरीज बन गया है.
डॉक्टर्स ने कर दिया था ब्रेन डेड घोषित
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एन-ब्लॉक गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए एक ही चाइल्ड डोनर के दो गुर्दे साथ में होना जरूरी है. वेना कावा और अओरटा, को एक ही पेशेंट में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इस मामले में, एन-ब्लॉक किडनी को 20 किलोग्राम से कम वजन वाले डोनर से निकाला गया था. डॉक्टरों के अनुसार वयस्क डोनर होने की स्थिति में केवल एक किडनी ली जाती है. 5 वर्षीय बच्चे की जान बचाने के लिए 16 महीने के उस डोनर बच्चे को चुना गया जिसे 24 अगस्त को एम्स में ब्रेन डेड घोषित किया गया था.
5 वर्षीय बच्चे की किडनी काफी समय पहले फेल हो चुकी थी. वह हेमोडायलिसिस पर था. एम्स के सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ मंजूनाथ मारुति पोल के अनुसार बच्चे को जिंदा रहने के लिए तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की जरूरत थी. बच्चे को 24 अगस्त को एम्स में एडमिट कर उसी दिन शाम को डायलिसिस ले लिए ले जाया गया.
बच्चा अब स्कूल जाने को है तैयार
इसके बाद, नोटो ने 5 साल के बच्चे को एन-ब्लॉक किडनी अलॉट कर दी. डॉ पोल का कहना है कि उनके नेतृत्व में सर्जनों की एक टीम ने बच्चे की ट्रांसप्लांट सर्जरी की. 25 अगस्त को प्रक्रिया के दौरान, डेड डोनर के महाधमनी और अवर वेना कावा (आईवीसी) को 5 साल के बच्चे के अंगों से जोड़ा गया. इसके बाद, डोनर के गुर्दे के दो मूत्रवाहिनी अलग-अलग मूत्राशय से जोड़े गए थे. सर्जरी के बाद बच्चे को सात दिनों तक आइसोलेशन वार्ड में रखा गया जिसके बाद उसे छुट्टी दे दी गई. फिलहाल, लड़का डायलिसिस से बाहर है और अच्छी तरह रिकवर हो रहा है. डॉक्टर की मानें तो बच्चा अब स्कूल जाने के लिए भी तैयार है.