इस दुनिया में कई ऐसे लोग होते हैं जो सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी हमेशा कुछ करने की चाहत रखते हैं. नोएडा में रहने वाले प्रिंस शर्मा एक ऐसा ही नाम हैं. प्रिंस बीते कई सालों से गरीब और जरूरतमंद बच्चों की फ्री में पढ़ा रहे हैं ताकि उनका भविष्य संवार सके. शिक्षा की अहमियत को समझते हैं हुए प्रिंस ने 2018 में चैलेंजर ग्रुप नाम की संस्था बनाई और अब इसकी मदद से गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं.
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आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंस द्वारा इस संस्था को बनाने और इसके तहत जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का आइडिया तब आया जब उनकी मुलाकात सड़क पर एक 6-7 वर्ष के बच्चे से हुई. जो रुमाल सूंघते हुए उन्हें मिला था और नशे में था. पहले लगा कि वो उन पर हमला कर देगा. फिर प्रिंस ने उससे हिम्मत कर पूछा ये क्या कर रहे हो, पढ़ाई क्यों नहीं करते? बच्चे ने जवाब दिया तू पढ़ाएगा?
प्रिंस कहते हैं कि उस दिन मुझे एहसास हुआ कि सिर्फ ज्ञान देने से कुछ नहीं होता समस्या का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए, अगले दिन से प्रिंस ने स्लम के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.
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शुरुआत में हुई दिक्कत, लोगों के ताने भी सुने
प्रिंस को अपनी इस नेक मुहिम को शुरू करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने को तैयार नहीं थे. कई लोगों ने तो बुरा भला कहकर भगा भी दिया. कुछ लोगों का कहना था कि जितनी देर मेरा बच्चा आपके पास पढ़ने जाएगा, उतनी देर में तो कूड़ा बिनकर 50 रुपए कमा लेगा. हालांकि, प्रिंस ने हार नहीं मानी और अपने कदम आगे बढ़ाए.
उन्होंने सिर्फ 2 बच्चों के साथ फुटपाथ पर अपनी पाठशाला शुरू की थी. आगे धीरे-धीरे लोगों को उनकी बात समझ आई. उन्होंने भी अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना शुरू कर दिया. आज उनके संस्था के अंतर्गत नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद समेत आठ सेंटरों पर 500 से अधिक बच्चे पढ़ते है.
प्रिंस को अपने परिवार का सपोर्ट मिला, लेकिन कुछ पड़ोसी, और रिश्तेदारों ने उन्होंने ताने मारे. उनके एक चाचा ने कहा कि तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है ये लोग किसी के सगे नहीं होते. ये कबाड़ी वाले तुम्हारा घर चलाएंगे. लेकिन प्रिंस उनकी बातों को अनुसना करते रहे और गरीब बच्चों को शिक्षित करने काम जारी रखा है.
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‘टीचर्स डे’ के मौके पर प्रिंस के 60 स्टूडेंट ने 3.51 सेकेंड में ‘डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ के 60 कैरीकेचर बनाकर ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड’ और ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में अपना नाम भी दर्ज करवाया था, जोकि प्रिंस शर्मा के संघर्ष और मेहनत के बाद संभव हो सका.