ऊना, 08 सितंबर : कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के दूरदराज क्षेत्र के कमूल गांव में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने शासन, प्रशासन और सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। देर रात महज 5 वर्ष के एक बच्चे को सर्पदंश हुआ, लेकिन रास्ते की सही हालत न होने के चलते बच्चा समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाया। लिहाजा चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित किया।
बुधवार मध्य रात्रि हुई इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। क्योंकि इस मामले में महज एक 5 वर्ष का बच्चा काल का ग्रास बन गया। ऐसा नहीं कि बच्चे को बचाने के लिए प्रयास नहीं किया गया। परिजनों ने फौरन अपने किसी नजदीकी को बुलाकर उसे गाड़ी में डालकर अस्पताल ले जाने का प्रयास किया, लेकिन बदहाल रास्ते में गाड़ी भी बीच मझधार पंक्चर हो गई। आधी रात को जैसे तैसे लोग बच्चे को लेकर एक निजी अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के दूरदराज के गांव कमूल में बुधवार की आधी रात को हुई एक घटना ने न केवल पूरे गांव को बल्कि समूचे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। आधी रात करीब 1:30 बजे अपनी मां और बहन के साथ चैन की नींद सो रहा 5 वर्ष का मासूम सर्प दंश का शिकार हो गया। बच्चे के रोने, चिल्लाने पर परिजन उठे तो उन्हें सर्प दंश का पता चला।
परिजनों द्वारा तुरंत शोर मचाकर आस-पास के लोगों को भी बुलाया गया। बच्चे को अस्पताल पहुंचाने के लिए किसी नजदीकी को गाड़ी लेकर आने को कहा। कई किलोमीटर के कच्चे रास्ते को पार करते हुए गाड़ी घर तक तो पहुंच गई, लेकिन जब घर से बच्चे को लेकर अस्पताल के लिए लोग निकले तो बीच रास्ते में गाड़ी पंचर हो गई। फिर भी जद्दोजहद जारी रही, परिजनों ने किसी तरह 5 साल के मासूम को एक निजी अस्पताल तक पहुंचा दिया, लेकिन अस्पताल पहुंचने में बहुत देर हो चुकी थी।
बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे ग्रामीणों में सन्नी और मंजीत ने कहा कि करीब 10 वर्ष पूर्व उनके गांव के लिए सड़क का काम शुरू हुआ था, लेकिन महज लीपापोती करते हुए उन्हें ऐसे रास्ते पर छोड़ दिया गया जो बरसात के दिनों में उनके लिए जी का जंजाल बन जाता है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि गांव की सड़क पक्की होती तो बच्चे को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था।
उन्होंने बताया कि 3 किलोमीटर के कच्चे रास्ते को पार करने में 1 घंटे का समय लग गया। यही समय कुछ बच्चे को बचाने के लिए अहम था, लेकिन बदहाल रास्ते के चलते सब लोग बेबस महसूस कर रहे थे। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल परिसर में 5 वर्ष के मासूम की मां का रो रो कर बुरा हाल था। दिवंगत बच्चे की माता ममता ने भी अपने बच्चे की मौत के लिए सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया। उसने कहा कि यदि उनके गांव को आने वाला रास्ता अन्य गांवों की तरह पक्का होता तो शायद उनके लाडले को बचाया जा सकता था।