जंगलों के बीच बसे गठिया गांव में बिजली पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी। जैसे ही यह सपना साकार हुआ, ग्रामीणों के चेहरे खुशी से जगमगा उठे।
मध्य प्रदेश का बालाघाट ज़िला अदिवासी बहुल है। यहां पायी जाने वाली बैगा जनजाति आज भी विकास से कोसों दूर सुदूर जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन कर रही है। शहरीकरण धीरे- धीरे पूरे देश में पैर पसार चुका है, लेकिन आदिवासी अंचल अब भी प्रकृति के बीच अपना अस्तित्व बचाये हुए है। दूरदराज के गांवों में रहने वाली बैगा जनजाति अब भी मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रकृति पर ही निर्भर है। ऐसे में आज़ादी के 75 साल बाद गठिया गांव में बिजली पहुंचाना किसी नेमत से कम नहीं है।