एक गृहणी जिसने IAS बनने का सपना देखा और बिना कोचिंग लिए ही उसे पूरा किया

देश के अधिकतर युवाओं का यह सपना है कि वे यूपीएससी की परीक्षा पास करके सिविल सर्विसेज ज्वाइन करें. इस बात की गवाही भरते हैं देश के बड़े शहरों में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करवाने के नाम पर चल रहे कोचिंग संस्थान. सभी इन संस्थानों में आईएएस/आईपीएस बनने का सपना लेकर जाते हैं लेकिन सभी उस सपने को पूरा नहीं कर पाते. लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गई है कि इन संस्थानों में एडमिशन लिए बिना यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास नहीं की जा सकती लेकिन इस बात को अनुकृति शर्मा ने गलत साबित कर दिया है. कैसे गलत साबित किया ये जानने के लिए पहले उनकी कहानी जान लीजिए : 

कौन हैं अनुकृति शर्मा?अनुकृति शर्मा राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं. पिता सरकारी नौकरी में थे तथा मां कॉलेज में पढ़ाती थीं. अनुकृति ने कभी ये नहीं सोचा था कि उन्हें सिविल सर्विसेज में जाना है. हां लेकिन उन्हें ये जरूर पता था कि उन्हें कुछ बड़ा करना है. इसकी एक वजह थी, जब वह कॉलेज में पढ़ती थीं तब उनके कॉलेज के बाहर एक  व्यक्ति चाय बेचता था. उसने अपनी बेटी की शादी महज़ 14 साल की उम्र में कर दी. जब यह बात अनु को पता चली तब उसे अहसास हुआ कि उन्हें किस तरह से विशेषाधिकार मिले हुए हैं. अगर उन्हें मौका मिला है तो वह उसे बिना कुछ किए गंवा नहीं सकतीं. 

अनु ने जयपुर के इंडो भारत इंटरनेशनल स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी की. इसके बाद इन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च कोलकाता से जियोलॉजिकल साइंसेज बीएसएमएस में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की. अनु ने नेट भी क्रैक किया. इसके बाद वह पीएचडी पूरी करने यूएसए चली गईं. यहां से लौटने के बाद अनु की शादी हो गई. अधिकांश लड़कियों के लिए यहां पर स्टॉप लग जाता है. शादी के बाद या तो उन्हें घर संभालना पड़ता है या फिर जिस फील्ड में वे होती हैं उसी में नौकरी करनी पड़ती है मगर अनु के साथ ऐसा नहीं था. 

शादी के बाद लिया फ़ैसला

शादी के बाद ही अनु ने यूपीएससी की परीक्षा देने और सिविल सर्विसेज ज्वाइन करने का मन बनाया. गृहस्ती को संभालते हुए ऐसा कठिन फैसला लेना वाकई में हिम्मत का काम है. लेकिन समस्या ये थी कि तैयारी के नाम पर अनु के पास कुछ भी नहीं था. पहली बात तो वह साइंस की स्टूडेंट थीं. इसके अलावा ना तो उन्हें संविधान, आईपीसी और आर्टिकल के बारे में कोई जानकारी थी और ना ही इतना समय कि वह घर छोड़ कर किसी शहर में जाकर इसके लिए कोचिंग ले सकें. रास्ता भले ही मुश्किल था लेकिन एक बार जो अनु ने ठान लिया फिर उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

लंबा था सफर लेकिन मिल गई मंज़िल 

ऐसा नहीं कि अनु ने पहली ही बार में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली, उन्हें पांच साल से ज़्यादा समय लगा अपना लक्ष्य प्राप्त करने में. अपने पांच प्रयासों में इन्होंने दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की. अपने फाइनल अटेम्पट से पहले उन्होंने तीन बार मेंस लिखा था. हर बार उनके नंबर पहले से बेहतर रहे और इसी बात से उन्हें हिम्मत भी मिली. 2017 में इन्होंने यूपीएससी सीएसई परीक्षा के तीनों चरण पास करते हुए ऑल इंडिया 355वां रैंक प्राप्त किया. इनका सेलेक्शन भी हुआ लेकिन इन्हें ये विश्वास था कि वह और बेहतर कर सकती हैं. एक तरह से देखा जाए तो यह जोखिम भरा कदम था क्योंकि अगला अटेम्पट अनु के लिए अंतिम साबित हो सकता था. यदि उनका सलेक्शन ना होता तो उनका सपना चूर चूर हो जाता मगर अनु ने हिम्मत दिखाई. 2018 में अच्छी तैयारी के लिए इन्होंने ब्रेक लिए तथा 2019 में पांचवीं बार परीक्षा दी. इस बार इनकी मेहनत पहले से कई ज़्यादा रंग लाई और इन्हें ऑल इंडिया 138वां रैंक प्राप्त हुआ. इस तरह अनु का सपना पूरा हुआ और वह आईएएस ऑफिसर बन गईं. 

ख़ुद से की कामयाबी हासिल 

अनु ने यूपीएसी क्लियर करने के लिए किसी कोचिंग संस्थान का सहारा नहीं लिया बल्कि इंटरनेट के सहारे खुद से ही इसकी तैयारी की. अनु ने परीक्षा की जानकारी से लेकर अपने आंसर्स को टॉपर्स के आंसर्स से मैच करने तक के बारे में हर काम इंटरनेट की मदद से ही किया. उनका मानना है कि इंटरनेट से बड़ा गुरू और कोई नहीं. यही वजह थी कि वह बिना कोचिंग लिए या बिना टेस्ट सीरीज ज्वाइन किए अपनी मंज़िल को पा गईं. वह बताती हैं कि जिस भी क्षेत्र में आपको जानकारी हासिल करनी हो, उसे आप नेट पर पा सकते हैं. इसके अलावा अनु मोटिवेशनल वीडियोज़ को भी कारगर मानती हैं क्योंकि इनसे निराशा भरे दिनों से निकलने में मदद मिल जाती है.

परीक्षा देने वाले युवाओं को सलाह 

अनुकृति ने मीडिया से बात करते हुए परीक्षा की तैयारी में जुटे युवाओं को कुछ खास बातें बताईं. उनके अनुसार “आपके उत्तर सुंदर तरीके से लिखे जाने चाहिए, जिसमें हेडिंग, सब-हेडिंग्स, बुलेट्स आदि सब कुछ दिया गया हो. इसके साथ ही जो हिस्सा हाइलाइट करने वाला हो उसे हाइलाइट भी करना चाहिए. जो प्रश्न आपसे पूछा जाए सिर्फ उसी का जवाब दें ना कि आम बोर्ड परीक्षाओं की तरह उत्तर को बड़ा करने के चक्कर में बात को घुमा फिरा लिखें. कुछ भी ऐसा ना लिखें जिसकी ज़रूरत ना हो. डायग्राम्स, फ्लोचार्ट्स, एग्जाम्पल्स बनाने की आदत डालें तथा जहां संभव हो इनका इस्तेमाल करें, इससे आपको अच्छे अंक मिल सकते हैं. अपने उत्तरों को चेक करते रहें. जहां भी सुधार की ज़रूरत हो वहां सुधार कर लें. इस तरह आप मेंस में अच्छे नंबर प्राप्त कर सकते हैं.”