रमेश भाई रूपारेलिया उन लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो परिस्थितियों के बिगड़ने पर हार मान लेते हैं. अपने जीवन में बेहद ही बुरा दौर देखने के बाद भी रमेश भाई ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के दम पर गुजरात के गोंडल से निकलकर दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई. कभी मजदूरी करने वाले रमेश भाई के जैविक और गोपालन आधारित प्रोडक्ट 125 देशों तक जाते हैं. इसके साथ ही वह लाखों में कमाई कर रहे हैं.
एक ही झटके में सब छिन गया
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रमेश भाई के पास एक समय में जमीन जायदाद थी लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनका सब छिन गया. दरअसल, उन्होंने गोसेवा के लिए एक गौशाला बनाई. वह गोसेवा में इतने मगन हो गए कि बाहरी दुनिया का उन्हें ध्यान ही न रहा. उसका सारा समय गोसेवा में जाता. दूसरी तरफ परिवार पर कर्ज बढ़ता रहा. एक समय ऐसा आया कि उनकी जमीन और घर के गहने सबकुछ बिक गया.
करनी पड़ी मजदूरी
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आर्थिक परेशानी में घिर चुके रमेश भाई के पास परिवार पालने का कोई जरिया न बचा. मजबूरी में उन्हें एक व्यापारी के खेत में मजदूरी का काम मिला. वह यहां खेतों में मजदूरी करने लगे. फिर उन्होंने दूसरों के खेत में खेती करनी शुरू की. शुरुआत में उन्होंने कैमिकल और फर्टिलाइजर के उपयोगा के बारे में सोचा लेकिन वह आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं थे कि इसके लिए पैसे जुटा पाते. इस स्थिति में उन्होंने उन गायों का सहारा लिया जिन्हें वो पालते आ रहे थे. उनके पास बड़ी संख्या में गायें थीं और इन्हीं गायों के गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल रमेश भाई ने खेती में खाद के रूप में किया. नतीजा ये निकला कि फसल अच्छी होने लगी.
खेती में लगाया दिमाग और हो गए सफल
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समय के साथ स्थिति ऐसी बदली कि कुछ साल बाद उनके खेतों से प्याज की ऐसी फसल हुई कि उनके हाथ में 35 लाख रुपए आ गए. इसके बाद उन्हें लोकप्रियता मिली और लोग उनसे खेती सीखने आने लगे. रमेश भाई की सबसे बड़ी खासियत ये है कि मिट्टी से जुड़ कर भी वह तकनीकी रूप से पिछड़े नहीं हैं. वह अपने खेती और गोशाला के प्रोडक्ट के प्रचार के लिए सोशल मीडिया का जमकर उपयोग करते हैं.
रमेश भाई का कहना है कि अगर पूरा फायदा लेना है तो किसान को व्यापारी बनना होगा. वे अपने प्रोडक्ट मंडी में बेचने की जगह खुद उसकी पैकेजिंग कर ग्राहक तक पहुंचाते हैं. उनकी कंपनी में आज सौ लोग काम करते हैं. वे लोगों को खेती करना भी सिखाते हैं. उनके यहां दुनियाभर से लोग खेती सीखने के लिए आते हैं. बता दें कि इस साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 58लाख रुपए रहा है.