अगर आप किसी ऐसे स्थान पर पहुंच जाए जहां न आपके पास खाने को कुछ हो, न पीने को. मदद के लिए पुकारो भी तो आपकी चीख सुनने वाला कोई इंसान न हो. सोचकर ही रूह कांप गई न? डोमिनिका के एक शख्स के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. 24 दिनों तक वो समंदर में भटकता रहा लेकिन जीने की उम्मीद नहीं छोड़ी.
नाव की मरम्मत कर रहा था, लहरें बहा ले गई
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डोमिनिका का एल्विस फ्रांकोइस दिसंबर में नीदरलैंड्स एन्टील्स के सैंट मार्टिन में अपनी नाव में मरम्मत कर रहा था. USA Today की रिपोर्ट के अनुसार, समंदर की धाराएं उसकी नाव बहा ले गई. एल्विस के पास नैविगेशन का ज्ञान नहीं था. चाहकर भी वो वापस समुद्री तट तक नहीं पहुंच पाया.
एल्विस ने अपने दोस्तों से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन सिग्नल चला गया और संपर्क नहीं हो पाया. इसके बाद एल्विस ने आग जलाकर डिस्ट्रेस सिग्नल देने की कोशिश की लेकिन असफल रहा. एल्विस ने अपने नाव पर HELP लिखा, इस उम्मीद में कि ऊपर से उड़ता कोई हवाई जहाज़ उसे देख ले. जब ऊपर से एक हवाईजहाज़ गया तब उसने शिशे के सहारे सिग्नल देने की कोशिश की.
24 दिनों तक समंदर में भटकता रहा शख्स
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La Guajira के Puerto Bolívar के उत्तर पश्चिम में एल्विस को देखा गया. एक कंटेनर शिप उसे Cartagena तक ले गई. कोलंबियन नौसेना के सैनिकों ने एल्विस की जांच की और उसे सही सलामत घर भेजा. एल्विस ने बताया कि जब वो समंदर में भटक रहा था तब उसने कई बड़े जहाज़ देखे लेकिन किसी ने उसे नहीं देखा.
एल्विस ने Associated Press से बात करते हुए कहा, ’24 दिन और जमीन का कोई निशान नहीं. कोई बात करने के लिए नहीं. क्या करना है पता नहीं. कहां हूं पता नहीं. कई बार मैं उम्मीद हार गया. मुझे परिवार की याद आती थी.’
केचप खाकर जिन्दा रहा
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24 दिनों तक समंदर में भटकते हुए एल्विस के पास जीवित रहने के लिए सिर्फ एक केचप बोतल थी. एल्विस ने कहा, ‘नाव पर केचप बोतल, लहसुन का पाउडर और मैगी मसाला क्यूब्स थे. मैंने तीनों को पानी के साथ मिलाया और 24 दिन यही खाकर जिन्दा रहा.’
एल्विस एक कपड़े में बारिश का पानी इकट्ठा करता था और उसे ही थोड़ा-थोड़ा पीता था.
साल्वाडोर अल्वारेंगा की कहानी जानते हैं, वो 438 दिनों तक समंदर में भटकता रहा और जिन्दा बच गया. यहां पढ़िए.