अमेरिकी चुनावों में किस्‍मत आजमा रहा एक मुसलमान उम्‍मीदवार भी, जानिए डोनाल्‍ड ट्रंप के इस करीबी के बारे में

अमेरिका (US) में इस हफ्ते मध्‍यावधि चुनाव (Midterm Elections) होने हैं। इन चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) और पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर से बढ़त बनाते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं इस बार माना जा रहा है कि कोई मुसलमान सीनेटर भी चुनाव जीत सकता है। अगर यह होता है तो अमेरिकी इतिहास में पहला मौका होगा जब कोई मुसलमान सीनेट के चुनाव में जीतेगा।

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वॉशिंगटन: मंगलवार को होने वाले चुनावों में अमेरिका शायद पहली बार एक मुस्लिम सीनेटर को चुनेगा। आठ नवंबर को देश में मध्‍यावधि चुनाव होने हैं और इस बार पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की तरफ से एक मुसलमान उम्‍मीदवार को भी समर्थन हासिल है। तुर्की के मेहमत ओज ने साल 2020 में हुए चुनावों की वैधता पर सवाल उठाये थे। ओज एक टीवी पर्सनाल्‍टी हैं और सर्जन भी रह चुके हैं। वह इस समय पेंसिलवेनिया से डेमोक्रेटिक पार्टी के लेफ्टिनेंट गर्वनर जॉन फैट्टरमैन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इन चुनावों में अगले दो सालों के लिए अमेरिकी सीनेट के लिए सीनेटर्स का चुनाव होगा।


ट्रंप का मिला साथ

दिलचस्‍प बात यह है कि ट्रंप को एक मुसलमान विरोधी नेता माना जाता है। लेकिन जिस तरह से वह ओज का समर्थन कर रहे हैं वह अपने आप में हैरान करता है। अमेरिका में बसे मुसलमानों ने ओज की उम्‍मीदवारी का स्‍वागत किया गया है। हालांकि पहले उनकी उम्‍मीदवारी बहुत ज्‍यादा जोश पैदा नहीं कर सकी थी। पहली बार है जब अमेरिका की किसी प्रमुख राजनीतिक पार्टी ने ओज के तौर पर किसी मुसलमान को उम्‍मीदवार बनाया है।
फिलिस्‍तीन मूल की नागी लातीफा की मानें तो किसी भी चीज से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है यह देखना कि नीतियां कैसे निर्धारित होती हैं। वह मुसलमान हैं यह बात अच्‍छी है लेकिन अगर कोई उम्‍मीदवरार समुदाय के सिद्धांतों और नैतिकता पर खरा नहीं उतरता है तो फिर उसके जीतने का कोई मतलब नहीं है।
झेलना पड़ा विरोध
ओज खुद को एक धर्मनिरपेक्ष मुसलमान बताते हैं और वह तभी अपनी पहचान बताते हैं जब उनसे पूछा जाता है। इस समय अमेरिकी कांग्रेस में राशिदा तालिब और इल्‍हान ओमर दो मुसलमान महिलायें हैं। लेकिन ओज ने अभी तक इन दोनों की तरह समुदाय को अपील करने वाले मसलों का जिक्र अपने कैंपेन में नहीं किया है। न ही उन्‍होंने फिलीस्तिनियों के अधिकारों का कोई जिक्र किया है और न ही इस्‍लामोफोबिया से लड़ने की कोई बात कही है। वह ट्रंप के करीबी हैं और शरिया को लेकर जिस तरह से पहले बयान देते आये हैं, उसके बाद मुसलमान अमेरिकी एक्टिविस्‍ट्स ने उनका खासा विरोध किया है।

शरिया लॉ के खिलाफ
इस साल मई में एक इंटरव्‍यू में उनसे पूछा गया था कि क्‍या वह पूर्व रिपब्लिकन उम्‍मीदवार बेन कारसन की इस बात से इत्तिफाक रखते हैं कि इस्‍लाम अमेरिकी संविधान के अनुकूल नहीं है? इस पर उनका जवाब था, ‘हम अमेरिका में शरिया लॉ नहीं चाहते हैं। मैं एक धर्मनिरपेक्ष मुसलमान हूं। मैं ऐसी किसी भी धार्मिक बात का समर्थन नहीं कर सकता हूं जे अमेरिकी समाज में उन्‍माद पैदा करे। बल्कि मैं तो हर ऐसे शख्‍स को ब्‍लॉक करना चाहूंगा जो ऐसा करता है।’ साल 2017 में प्‍यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की कुल आबादी में बस एक फीसदी ही मुसलमान हैं।