Titanic Ship: लगभग 110 साल पहले टाइटैनिक जहाज अटलांटिक महासागर में डूब गया था। इस डूबे हुए जहाज के मलबे से जुड़ी खोज समय-समय पर होती रहती है। ऐसी ही एक खोज के दौरान 1996 में एक शोधकर्ता को मलबे के पास रडार पर रहस्यमय चीज दिखाई दी थी। अब इस चीज के बारे में सच्चाई सामने आई है।
वॉशिंगटन: अगर किसी जहाज के डूबने से जुड़ी कहानियां सबसे ज्यादा आपने सुनी होंगी तो वह टाइटैनिक होगा। टाइटैनिक जहाज इतना मशहूर है कि उसके ऊपर एक फिल्म भी बन चुकी है। टाइटैनिक जहाज उत्तरी अटलांटिक महासागर में अपनी पहली यात्रा के दौरान ही 1912 में डूब गया था। समुद्र की गहराइयों में 4 किमी नीचे टाइटैनिक का मलबा आज भी दो टुकड़ों में मौजूद है। ये मलबा धीरे-धीरे सड़ रहा है। लगभग 26 साल पहले मिले एक सोनार ब्लिप से अब खुलासा हुआ है कि टाइटैनिक समुद्र की गहराइयों में अकेला नहीं है।
पीएच नार्गोलेट एक सबमर्सिबल पायलट और गोताखोर हैं। नार्गोलेट ने मूल रूप से 1996 में इको साउंडिग उपकरण यानी सोनार के जरिए टाइटैनिक के पास रडार पर रहस्यमय चीज देखी थी। ये क्या है इसके बारे में पता नहीं चल सका था। इस साल की शुरुआत में नार्गोलेट और चार अन्य शोधकर्ताओं ने रहस्यमय वस्तु की खोज से जुड़ा अभियान चलाया। नार्गोलेट का मानना था कि रडार पर दिखा ब्लिप किसी अन्य जहाज या टाइटैनिक से ही जुड़ा मलबा हो सकता है।
क्या मिला समुद्र की गहराई में
जब ब्लिप की जगह पर खोज की गई तो वहां एक चट्टान मिली। ये चट्टान विभिन्न ज्वालामुखी संरचनाओं से बनी थी। इस जगह पर झींगा मछलियां, स्पंज और प्रवाल की हजारों प्रजातियां होने की संभावना है। स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में समुद्री जीव विज्ञान और पारिस्थितिकी के प्रोफेसर मुरे रॉबर्ट्स ने कहा, ‘यह जैविक रूप से आकर्षक है। इस चट्टान के करीब रहने वाले जीव उन जीवों से बहुत अलग हैं जो रसातल महासागर (Abyssal Ocean) में रहते हैं।’ रॉबर्ट्स के मुताबिक रसातल महासागर एक ऐसी जगह को कहा जता है जो पानी के 3 से 4 किमी की गहराई में हो। पृथ्वी का लगभग 60 फीसदी हिस्सा ऐसा है।