हिमाचल में एक मंदिर, जहां बैठते है दो जिलों के पुजारी

जिला हमीरपुर की बात आती है तो यहां स्थित अवाहदेवी मंदिर की बात जरूर की जाती है। अवाहदेवी कस्बा एक बहुत ही सुंदर स्थान है। यह हिमाचल प्रदेश के दो जिलों हमीरपुर व मंडी के सीमा क्षेत्र पर स्थित है। जिला हमीरपुर से 24 किलोमीटर दूरी पर पूर्व की ओर स्थित यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है।

मंदिर में मां जालपा पिंडी रूप में विराजमान है। जहां गुग्गा पीर की पुरानी मूर्तियां भी स्थापित है। इस मंदिर में हमेशा दो पुजारी बैठते है एक पुजारी हमीरपुर से संबंध रखता है व दूसरा जिला मंडी से। यह प्रथा ऐसी ही चलती आ रही है। मंदिर में नवरात्रि उत्सव यहां पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दौरान भागवत कथा श्री चंडी पाठ, भंडारा व भवन कीर्तन का दौर निरंतर जारी रहता है।

अवाहदेवी मंदिर का इतिहास… 

जानकारी के अनुसार मंदिर के स्थान पर दो परिवार काम करते थे। एक परिवार मंडी व दूसरा परिवार हमीरपुर का है। एक बार खेतों में जुताई करते हल एक पत्थर से टकराया तो उस पत्थर से रक्त बहने लगा। सब लोग हैरान हो गए और यह बात आग की तरह सब जगह फैल गई। फिर मां की इस पिंडी को बाहर निकाला व मां ने दर्शन दिए व अपने लिए एक स्थान मांगा। जिस पर मंडी व हमीरपुर के लोगों में बहस शुरू हो गई। मंडी के लोग कहने लगे कि ये पिंडी हमें मिली है इसलिए हम इसे अपने गांव में ले जाएंगे और वही इसकी स्थापना करेंगे।

हमीरपुर जिला के लोग अपने यहां इसकी स्थापना करना चाहते थे। इस बीच मंडी वालों ने पिंडी उठाई और चल पड़े। जब वे अवाहदेवी के पास पहुंचे तो उन्होंने वहां विश्राम करने के लिए पिंडी रखी, जब वे जाने लगे तो पिंडी को वहां से उठा नहीं पाए। तभी दोनों तरफ के लोग वहां इकट्ठा हुए व बुजुर्गों ने फैसला लिया कि इस पिंडी को यहां स्थापित किया जाए। दोनों परिवारों को इसकी पूजा अर्चना की जिम्मेदारी सौंपी गई। तब से लेकर आज तक ये दो परिवार ही इसके मुख्य पुजारी है।