विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए स्पोर्ट्स और कल्चरल कोटा खत्म करने के खिलाफ एबीवीपी का हल्ला बोल, शीघ्र बहाली की उठाई मांग।

हिमाचल प्रदेश के दो खिलाड़ी जहां टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहीं राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए स्पोर्ट्स और कल्चरल कोटा खत्म कर दिया है। सरकार के इस फैसले को लेकर ABVP छात्र संघ ने मोर्चा खोल दिया है। ABVP छात्र संघ ने स्पोर्ट्स एंड कल्चरल आरक्षण खत्म करने को लेकर उच्च शिक्षा निदेशक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और तीन दिन का अल्टीमेटम देकर कोटा बहाल करने की मांग की।

एबीवीपी के प्रान्त मंत्री विशाल वर्मा का कहना है कि कॉलेज दाखिले में स्पोर्ट्स एंड कल्चरल कोटा खत्म करने से कई छात्र उच्च पढ़ाई से वंचित हो सकते हैं। एक तरफ टोक्यो ओलंपिक में प्रदेश के खिलाड़ी अपना प्रदर्शन कर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश में उच्च शिक्षा से वंचित करने के लिए सरकार नए आदेश लागू कर रही है। उन्होंने उच्च शिक्षा निदेशक पर अभद्र व्यबहार करने का आरोप भी लगाया और कहा कि इस पद पर बैठा अधिकारी छात्रों की समस्याओं को भी नहीं सुनता है जो  अधिकारी की तानाशाही का परिचय देता है।

इसके अलावा छात्र संघ ने ऑनलाइन छात्र कक्षाओं को लेकर भी  सवालिया चिन्ह खड़े किए हैं। विशाल वर्मा का कहना है कि मंडी में नेटवर्क सिग्नल न होने से गांव के छात्रों को बरसाती नालों को पार कर बाज़ार में पढ़ाई करने आना पड़ता है जिसके चलते साइबर कैफे में भी कक्षाएं नहीं चल रही हैं। छात्र मांग कर रहे हैं कि पूर्व की तरह प्रवेश प्रक्रिया में लागू किए जाने वाले 120 प्वाइंट रोस्टर में दिए जाने वाले आरक्षण को सरकार बहाल करे। कॉलेजों में 26 जुलाई से यूजी कोर्स की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो रही है।हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय केे कुल सचिव ने कॉलेजों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को दस फीसदी और दिव्यांग श्रेणी के छात्रों को पांच फीसदी आरक्षण देने के आदेश जारी किए हैं।अब जिन कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में सीमित सीटें हैं और मेरिट आधार पर प्रवेश दिया जाता है, उनमें स्पोर्ट्स और कल्चरल एक्टिविटी में अव्वल रहने वाले छात्रों को आरक्षण नहीं मिलेगा। इससे पहले 120 प्वाइंट रोस्टर में स्पोर्ट्स और कल्चरल कोटा पांच-पांच फीसदी था।