हिमाचल से सम्बन्ध रखने वाली बाॅलीवुड की जानीमानी कलाकार पिछले 6-7 महीनों से सुर्खियों मे है और साथ ही विवादों मे भी घिरी हुई है। अब मै इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि शायद मिडिया की सुर्खियां,चर्चा और पब्लिसिटी उनकी कमजोरी बन गई है। वह जरूरत से अधिक बोल रही है। वह हर बात पर टिप्पणी कर रही है और अपनी राय रख रही है। वह बड़ी कलाकार है, वह जो बोलती हैं या टिवीट करती है वह छपता है और मीडिया मे उस पर चर्चा होती है। अब वह हर विषय पर राय रखना जरूरी समझने लगी है और हर विषय पर वह जो बोलती है उसे वह सही भी मानती है। अब उनकी नकारात्मक पब्लिसिटी होने लगी है। अभी हाल मे उन्होंने किसान आन्दोलन पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने एक बजुर्ग महिला को शाहीनबाग वाली दादी बता कर उसकी तस्वीर टीवीट कर शेयर कर दी । उन्होंने उस पर पैसे लेकर धरने पर बैठने का आरोप भी लगा दिया।
जांच करने और जानकारी प्राप्त करने पर पता चला वह तस्वीर पजांब की महिला किसान आन्दोलनकारी महिन्द्र कौर की थी। इस पर उन्हे किसान नेताओं की तो नाराजगी का सामना करना ही पड़ा साथ ही अपने ही बॉलीवुड के गायक और कलाकार दलजीत दोसांझ से भी खरी खोटी सुननी पड़ी। कंगना ने अपनी छोटी उम्र मे खूब शोहरत हासिल की है। वह उसे ही संभाल कर रखें तो बेहतर होगा। कुछ लोग सोशल मीडिया पर कह रहे है कि वह राजनीति मे आने और एक पार्टी विशेष का टिकट पाने के लिए सब कुछ कर रही है। हालांकि मै उनके इस कथन पर कुछ कहने की स्थिति मे नहीं हूँ। यदि ऐसा है भी तो मै अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि वह हर बात पर टिप्पणी कर और रोज नया विवाद खड़ा कर अपना नुकसान कर रही हैं। कभी-कभी ऐसा समय हर एक के जीवन मे आता है जब एक चुप सौ सुख का पालन करने का लाभ मिलता है। मुझे लगता है कि कंगना भी कुछ समय के लिए चुपी साध ले और यदि बोलना ही है तो सोच समझ कर अति जरूरी होने पर ही बोलना चाहिए। अंत मै यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मै उनका आलोचक नही हूँ बल्कि मणिकर्णिका फिल्म देखने के बाद उनका प्रशंसक और शुभचिंतक हूँ।
– मोहिंद्र नाथ सोफत (सोलन)