हरियाणा बनने के बाद 1967 में हुए पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस टिकट पर डाबड़ा गांव निवासी हरि सिंह विजयी हुए। कुछ समय बाद कांग्रेस पार्टी में भजन लाल सक्रिय हो गए और वर्ष 1968 में वे पार्टी की टिकट लेकर चुनाव जीतने में सफल रहे। इसी सीट पर उन्होंने 1972 में भी जीत हासिल की।
हरियाणा बनने के बाद 1967 में हुए पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस टिकट पर डाबड़ा गांव निवासी हरि सिंह विजयी हुए। कुछ समय बाद कांग्रेस पार्टी में भजन लाल सक्रिय हो गए और वर्ष 1968 में वे पार्टी की टिकट लेकर चुनाव जीतने में सफल रहे। इसी सीट पर उन्होंने 1972 में भी जीत हासिल की। लेकिन वर्ष 1975 में वे कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में शामिल हो गए। वर्ष 1977 में हुए चुनाव में वे जनता पार्टी की टिकट पर आदमपुर से विजयी हुए।
कुछ समय बाद 1980 में उन्होंने पूरी सरकार का विलय कांग्रेस में कर दिया और इसके बाद 1982 में हुए चुनाव में वह इसी हलके से फिर से कांग्रेस टिकट पर जीतने में सफल रहे। वर्ष 1987 में चली चौ. देवीलाल की लहर भी भजनलाल का दुर्ग भी नहीं ढहा पाई और यहां से भजनलाल की पत्नी जसमा देवी ने जीत हासिल की। वर्ष 1991 में यहां से फिर भजनलाल ने चुनाव लड़ा और पार्टी के बहुमत में आने पर मुख्यमंत्री बनें।
वर्ष 1996 में यहां भजनलाल विजयी रहे लेकिन दो वर्ष बाद यहां हुए उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई ने राजनीति में एंट्री की और यह उपचुनाव जीता। वर्ष 2005 में यहां से भजनलाल ने चुनाव लड़ा और विजयी रहे लेकिन पार्टी के बहुमत में आने के बावजूद मुख्यमंत्री न बन पाने के कारण कांग्रेस और भजनलाल परिवार में तल्खी बढ़ गई और कुलदीप बिश्नोई ने वर्ष 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन कर लिया।
कुलदीप ने दबदबा कायम रखा
2008 में उपचुनाव हुआ, जिसमें खुद भजनलाल विजयी रहे और अगले वर्ष 2009 में हुए आम चुनाव में यहां से कुलदीप बिश्नोई ने जीत हासिल की। वर्ष 2011 में यहां पर फिर उपचुनाव हुआ, जिसमें कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका विजयी रही। वर्ष 2014 व 2019 के चुनाव में यहां से फिर कुलदीप बिश्नोई ने जीतकर हलके में अपने परिवार का दबदबा कायम रखा।