Uttar Pradesh Neet Admission Fraud: केंद्रीय आयुष विभाग ने यूपी के मंत्रालय को पत्र लिखा है और जांच कर रिपोर्ट मांगी है। इस चिट्ठी के आने के बाद विभाग के अफसरों ने गुपचुप जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि कई प्राइवेट कॉलेजों ने बगैर नीट अभ्यर्थियों को अपने यहां एडमिशन दे दिया है। कुछ स्टूडेंट ने इसकी शिकायत की थी।
लखनऊ : बिना नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) दिए ही तकरीबन एक हजार अभ्यर्थियों को बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों में दाखिला दिए जाने का मामला सामने आया है। तीन दिन पहले जब केंद्रीय आयुष मंत्रालय से इस आशय का पत्र यूपी के आयुष विभाग को मिला। पत्र में मामले की जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। मंत्रालय के अफसरों के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई हैं। मामले की गुपचुप पड़ताल की जा रही है। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी के स्नातक कोर्सों में दाखिला लेने के लिए आयुर्वेद निदेशालय ही काउंसिलिंग करवाता है। साल 2016 से पहले बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों में दाखिले के लिए राज्य अलग से परीक्षाएं करवाते थे। लेकिन साल 2016 में इन कोर्सों में दाखिले के लिए नीट अनिवार्य कर दिया गया। नीट की मेरिट के हिसाब से पहले एमबीबीएस सीटों पर दाखिले लिए जाते हैं। इसके बाद एमबीबीएस में चयनित न होने वाले नीट के अभ्यर्थी एएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों के लिए काउंसलिंग करवाते हैं। इस साल भी 27 जनवरी को बीएएमएस, बीयूएमएस और बीएचएमएस कोर्सों की सीटें काउंसलिंग के जरिए भरने का आदेश जारी किया गया था। मार्च-अप्रैल में काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी की गई। सूत्रों का दावा है कि काउंसिलिंग प्रक्रिया से जुड़े आयुर्वेद निदेशालय के लोगों और काउंसलिंग एजेंसी की साठगांठ से कई प्राइवेट कॉलेजों ने ऐसे अभ्यर्थियों को ऐडमिशन दे दिया, जिन्होंने नीट दिया ही नहीं था।
मेरे आने के पहले का मामला है। दो-तीन दिन पहले ही जानकारी में आया है। जांच करवाई जा रही है। जांच के बाद ही इस संबंध में पूरी बात बता सकूंगा।
ऐसे खुला मामला
काउंसलिंग के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़े की शिकायत राज्य के आयुष विभाग और आयुर्वेद निदेशालय में की थी। लेकिन अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। कार्रवाई न होते देख कुछ शिकायतकर्ताओं ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय में शिकायत की। वहां से जब इस संबंध में पत्राचार हुआ तो विभाग के अधिकारी असहज स्थिति में आ गए। मामले में गुपचुप जांच भी शुरू कर दी गई। मंत्री दयाशंकर मिश्र कहते हैं कि अधिकारियों ने तब ध्यान नहीं दिया और केंद्र की चिट्ठी पड़ी रही।
एजेंसी के अधिकारी नहीं उठा रहे फोन
मामले की जांच के लिए अधिकारी कॉलेजों से डेटा मंगा रहे हैं। काउंसलिंग एजेंसी के लोग फोन नहीं उठा रहे हैं। आयुर्वेद निदेशालय के एक अधिकारी एजेंसी के भाग जाने का अंदेशा भी जता रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि पिछले दो दिनों से निदेशालय के कई लोग इस जांच की गोपनीयता बरतने के लिए निदेशालय के बाहर से काम कर रहे हैं। मामले में चुप्पी का आलम यह है कि आयुर्वेद निदेशक प्रो एसएन सिंह और अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला जवाब तक देने को तैयार नहीं हैं।