बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने राज्यसभा में समान नागरिक संहिता से जुड़े प्राइवेट मेंबर बिल को पेश कर दिया है। पिछले सत्रों में भी कई बार ये बिल सदन में लिस्ट हो चुका था लेकिन जब आसन की तरफ से इसे पेश करने के लिए मीणा का नाम लिया जाता था तो वह उस समय नदारद रहते थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ।
नई दिल्ली : आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद बीजेपी अपने एक और बड़े चुनावी वादे की ओर कदम बढ़ाती दिख रही है। ये है समान नागरिक संहिता का मुद्दा। संसद के शीतकालीन सत्र में इसे लेकर राज्यसभा में बिल भी पेश हो चुका है। हालांकि, ये बिल मोदी सरकार की तरफ से नहीं बल्कि बीजेपी के ही एक सांसद की तरफ से प्राइवेट मेंबर बिल के तौर पर पेश किया गया है। अतीत में कई बार इस बिल को लिस्ट किया जा चुका है लेकिन पेश नहीं हो पाया था। इस बार विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच शुक्रवार को ये बिल उच्च सदन में पेश हुआ। बीजेपीशासित कुछ राज्यों में इसे लागू करने की संभावना तलाशने के लिए पहले ही कमेटियां बन चुकी हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने भी हाल में टाइम्स नाउ समिट में कहा था कि मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को लेकर गंभीर है लेकिन सभी पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही इस पर फैसला होगा।
विपक्ष के विरोध के बीच पेश हुआ प्राइवेट मेंबर बिल
बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के प्रावधानों वाले प्राइवेट मेंबर बिल को विपक्ष के विरोध के बीच सदन में पेश किया। विपक्षी सदस्यों के विरोध पर सरकार ने मीणा का समर्थन करते हुए कहा कि बिल पेश करना उनका अधिकार है। जब विपक्ष ने बिल को वापस लेने की मांग की तो राज्यसभा चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने उस पर वोटिंग करा दी। ध्वनिमत में बिल को पेश करने के पक्ष में 63 वोट पड़े जबकि विरोध में 23 वोट। उस समय राज्यसभा में कई सांसद अनुपस्थित थे खासकर विपक्षी कांग्रेस, टीएमसी और आम आदमी पार्टी के कई सदस्य मौजूद नहीं थे। इस दौरान राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने मीणा के कदम का बचाव करते हुए कहा कि इस विषय पर चर्चा तो होने दीजिए।
पहले भी कई बार लिस्ट हुआ था बिल, इस बार पेश हुआ
समान नागरिक संहिता को लागू करने से जुड़ा ये बिल पहले भी पिछले सत्रों में कई बार लिस्ट हो चुका था लेकिन इससे पहले कभी पेश नहीं हो पाया। हर बार जब सभापति या आसन की तरफ से बिल पेश करने के लिए किरोड़ी लाल मीणा का नाम लिया जाता था तो वह उस वक्त सदन से नदारद होते थे। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार तो उन्हें सरकार का भी समर्थन दिखा। सदन में जैसे ही प्रक्रिया शुरू हुई विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे। उनका आरोप था कि इस बिल से देश में अमन-चैन और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंच सकता है। उपराष्ट्रपति धनकड़ ने विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों को शांत कराया और उन्हें अपनी चिंताएं रखने का मौका दिया। कई विपक्षी सदस्यों ने बिल के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उसके बाद सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि समान नागरिक संहिता संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में है। इस पर बहस करते हैं।
इससे देश और बंट जाएगा: विपक्ष
यूनिफॉर्म सिविल कोड इन इंडिया बिल, 2020 में पूरे देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारी के लिए नैशनल इंस्पेक्शन ऐंड इन्वेसिगेशन कमिटी बनाने की बात कही गई है। विपक्ष का कहना है कि इससे पहले जब भी ये बिल लिस्ट होता था तो सरकार मीणा को इसे पेश नहीं करने के लिए मना लेती थी लेकिन इस बार बिल को पेश होने दिया गया। आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, ‘मैं खुद ही ऐसे 6 मौकों का गवाह रहा हूं। उसके बाद क्या बदल गया है ये मुझे नहीं मालूम।’ उन्होंने कहा कि इस समय शहर, गांव और परिवार बंटे हुए हैं और अगर इस तरह का बिल पेश किया गया तो देश और बंट जाएगा।
पिछले 52 साल में संसद में एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पास नहीं हुआ
प्राइवेट मेंबर बिल को अगर सदन से मंजूरी मिल भी जाती है तो वह तबतक कानून नहीं बन पाता जबतक कि सरकार उसका समर्थन न करे और उसे आधिकारिक विधेयक के तौर पर पेश न करे। खास बात ये है कि 1970 के बाद से अबतक संसद में किसी प्राइवेट मेंबर बिल को मंजूरी नहीं मिली है। संसद से अबतक सिर्फ 14 प्राइवेट मेंबर बिल को ही मंजूरी मिल पाई है जिनमें से 6 को तो अकेले 1956 में ही पास किया गया था।
समान नागरिक संहिता का मतलब है सभी नागरिकों के लिए समान कानून। भारत में क्रिमिनल लॉ तो हर धर्म के लोगों पर समान रूप से लागू होते हैं लेकिन विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार जैसे सिविल मामलों में ऐसा नहीं है। ऐसे मामलों में पर्सनल लॉ लागू होते हैं। अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोगों के लिए अलग-अलग कानून हैं। संविधान में भी सरकार की तरफ से समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में प्रयास करने की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार कॉमन सिविल कोड की बात कर चुका है।