बच्ची का इलाज करने वाले सर्जन डॉक्टर राकेश केन ने कहा कि बिना उंगली की बच्ची की जिंदगी अधूरी थी। वह अपना कोई काम नहीं कर पा रही थी। यहां तक कलम या चम्मच तक नहीं पकड़ पाती थी। खुद से खाना नहीं खा पाती थी। इसलिए उसके पिता परेशान थे। सर्जरी के बाद अब बच्ची को अब उंगली मिल गई है।
राजस्थान के अलवर की रहने वाली साढ़े चार साल की मायरा दो साल पहले चारा काटने की मशीन में गलती से हाथ दे बैठी, जिसकी वजह से उसके दोनों हाथ की हथेली कट गई। एक भी उंगली नहीं बची। हालांकि, घटना के तुरंत बाद बच्ची के परिजन उसे पास के अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन उस समय हाथ जोड़ पाने में सफल नहीं पो पाए। बच्ची के पिता किसान हैं और इस साल जनवरी में बच्ची को लेकर सफदरजंग अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग में पहुंचे।
बर्न एंड प्लास्टिक विभाग के एचओडी ने कहा कि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी, जिसे टीम वर्क के जरिए सफल बनाया गया। इस बारे में सर्जन डॉक्टर राकेश ने कहा कि हमने पैर की दो उंगली, अंगूठा और पास वाली पैर की दूसरी उंगली को हाथ में ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया, ताकि इस दो उंगली से वह चम्मच और कलम भी पकड़ सके।
सर्जन ने बताया कि बाएं पैर की दो उंगली को खून की नली, नर्व और टेंडन (मांसपेशी को हड्डी से जोड़नेवाली नस) को निकालना और उसे इतने छोटी बच्ची के हाथ में जोड़ना आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि बच्चों में खून की नसें धागे से भी पतली होती है। खून की तीन पतली-पतली नसों को जोड़ा गया। इससे ब्लड सप्लाई पूरी होती है। इसके बाद एक नर्व को हाथ के नर्व से जोड़ा गया, जिससे छूने आदि का एहसास हो सके और तीसरा 4 टेंडन जोड़ा, जिससे वह उंगली आगे-पीछे कर सके। डॉक्टर ने कहा कि सुबह नौ बजे सर्जरी शुरू हुई थी, जो शाम छह बजे तक चली। 16 मई को सर्जरी हुई और 19 मई तक बच्चे में काफी सुधार हुआ है, खून की सप्लाई शुरू हो गई है। धीरे-धीरे उंगली काम करना शुरू कर देगी।