ओमान और भारत (Oman and India) दोनों के बीच दिन पर दिन रणनीतिक रिश्ते मजबूत होते जा रहे हैं। भारत और ओमान के बीच संबंध कई सदियों का इतिहास समेटे हुए हैं। इन रिश्तों के बीच गरमाहट का अहसास दुनिया ने पहली बार सन् 1990 के दशक के अंत में किया था जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के लिए ओमान के सुल्तान ने पहली बार प्रोटोकॉल तोड़ा था।
मस्कट: भारत और ओमान, दोनों देशों के बीच ब्रिटिश काल से ही रिश्ते बरकरार हैं। भारत की आजादी के बाद ये संबंध और मजबूत हुए। सन् 1971 में जब मस्कट में भारतीय दूतावास खुला और दोनों देश एक-एक कदम और आगे बढ़े। यूं तो कई किस्से हैं जिनकी चर्चा ओमान और भारत में होती है। लेकिन एक किस्सा ऐसा है जिसने दुनिया को रिश्तों का एक नया संदेश दिया था। यह एतिहासिक वाकया ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद और भारत के नौंवे राष्ट्रपति रहे डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा से जुड़ा है। दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन इस किस्से के बहाने उनका जिक्र हमेशा ओमान और भारत में होता है।
सुल्तान ने तोड़ा प्रोटोकॉल डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा को एक ऐसे राष्ट्रपति के तौर पर जाना जाता है जो काफी संवेदनशील थे। वह अपने काम के लिए हमेशा समर्पित रहते थे और नियमों को मानने वाले व्यक्ति के तौर पर मशहूर रहे। इसी तरह से ओमान के सुल्तान कबूस को एक ऐसे राजा के तौर पर जाना जाता है, जिसने कभी किसी के लिए प्रोटोकॉल नहीं तोड़ा। सिर्फ एक व्यक्ति के लिए पहली बार उन्होंने अपना प्रोटोकॉल तोड़ा। यह व्यक्ति कोई औ नहीं बल्कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा ही थे। यह बड़ा ही रोचक किस्सा है और अक्सर इसका जिक्र होता है।
एयरपोर्ट पहुंचे सुल्तान सन् 1994 में जब शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति थे तो वह मस्कट गए थे। ओमान के सुल्तान कभी किसी विदेशी मेहमान को रिसीव करने के लिए या उनका स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट नहीं गए थे। लेकिन जब उन्हें पता लगा कि भारत के राष्ट्रपति ओमान आ रहे हैं तो उन्होंने एयरपोर्ट जाकर उन्हें रिसीव करने और उनका स्वागत करने का फैसला किया। कहा जाता है कि जैसे ही पूर्व राष्ट्रपति का हवाई जहाज मस्कट पहुंचा, सुल्तान कबूस प्लेन में राष्ट्रपति की सीट के पास पहुंच गए। इतना ही नहीं वह उन्हें अपने साथ प्लेन से लेकर नीचे उतरे थे। भारत के पूर्व राष्ट्रपति को पिक करने के लिए ड्राइवर समेत कार एयरपोर्ट पहुंची थी। मगर सुल्तान ने ड्राइवर को आदेश दिया कि वह कार ड्राइव करेंगे। उन्होंने डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा को अपने साथ बैठाया और खुद कार ड्राइव की।
सुल्तान के प्रोफेसर थे डॉक्टर शर्मा
जब सुल्तान से इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब बेहद सरल था। सुल्तान कबूस ने कहा कि वह एयरपोर्ट डॉक्टर शर्मा को इसलिए पिक करने के लिए नहीं गए थे क्योंकि वह भारत के राष्ट्रपति थे। बल्कि वह इसलिए एयरपोर्ट गए थे क्योंकि डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा उनके टीचर रहे थे। सुल्तान कबूस ने तब बताया कि उन्होंने भारत में पढ़ाई की है। जिस समय वह भारत में पढ़ाई कर रहे थे, उस समय उन्हें कई चीजें सीखने को मिलीं। पुणे में पढ़ाई के डॉक्टर शर्मा उनके प्रोफेसरर थे और इसलिए वह उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट गए थे। डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा साल 1992 से 1997 तक भारत के राष्ट्रपति रहे थे। 26 दिसंबर 1999 को उनका निधन हो गया था।