अमेठी के बाद अब सोनिया से रायबरेली ‘छीनने’ को BJP ने तैयार किया ब्लू प्रिंट! पवार, अखिलेश की भी उड़ेगी नींद

भारतीय जनता पार्टी की नजर इस बार विपक्ष की उन लोकसभा सीटों पर है जहां पार्टी जीतने में कामयाब नहीं हुई है। विपक्ष के गढ़ की मजबूत सीटें जिनमें यूपी की रायबरेली,मैनपुरी, महाराष्ट्र में बारामती, पश्चिम बंगाल में जादवपुर, मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा पर पार्टी का खास फोकस है और इसके लिए रणनीति तैयार की गई है।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दलों की ओर से तैयारी शुरू हो गई है। एक ओर जहां विपक्षी दल गठबंधन बनाने पर जोर दे रहे हैं तो वहीं बीजेपी का फोकस ‘स्पेशल 144’ पर है। यह लोकसभा की वह सीटें हैं जहां हाल के चुनावों बीजपी को हार मिली है और पार्टी का फोकस इन सीटों पर बढ़ गया है। इन सीटों के साथ ही बीजेपी की नजर विपक्ष की उन सीटों पर भी हैं जो उनका गढ़ मानी जाती हैं। यूपी की रायबरेली, मैनपुरी, महाराष्ट्र की बारामती समेत कई और सीटें हैं जिन पर पार्टी ने खास रणनीति तैयार की है। हाल ही में बीजेपी नेताओं की इसको लेकर एक बैठक भी हुई। बीजेपी उन 144 लोकसभा सीटों में से कम से कम आधी सीटें जीतने के लिए अलग-अलग योजना पर काम कर रही है, जो उसने हाल के चुनावों में नहीं जीती है।

रायबरेली, मैनपुरी, बारामती… विपक्ष की मजबूत सीटों पर नजर
2019 के आम चुनाव में बीजेपी 2014 की तुलना में 21 सीटें अधिक जीती थीं। 144 सीटों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना के पीछे विचार यह है कि यदि पार्टी कुछ सीटें हारती है, तो उसे कम से कम नई सीटें जीतकर उस कमी को पूरा किया जाए। बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने लोकसभा चुनाव के दो साल पहले पार्टी नेताओं के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया जिसमें उत्तर प्रदेश में रायबरेली और मैनपुरी, महाराष्ट्र में बारामती, पश्चिम बंगाल में जादवपुर, तेलंगाना में महबूबनगर और मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा विपक्ष की इन मजबूत सीटों का जिक्र था। इन सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने के लिए योजना बनाई गई है और इसकी जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दी गई है।

18 महीनों का मास्टर प्लान तैयार, केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मेदारी
पार्टी की नजर जिन 144 सीटों पर है उसके लिए बीजेपी ने अगले 18 महीनों तक काम करने की एक योजना बनाई है। इन सीटों पर तीन लेवल पर काम करने की योजना है और इसके लिए अलग-अलग नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। सबसे पहले, राष्ट्रीय नेताओं से बनी एक केंद्रीय समिति जो पूरे कार्यक्रम की निगरानी करेगी। गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और बीएल संतोष कार्यक्रम की निगरानी करने वाली केंद्रीय समिति के नेता हैं। दूसरी राज्य समिति है जिसमें राज्यों के वरिष्ठ नेता हैं जो जमीनी स्तर पर निर्देशों का पालन करेंगे। तीसरी एक क्लस्टर समिति है, जहां केंद्रीय मंत्री सीधे तौर पर गतिविधियों की देखरेख और केंद्रीय और राज्य समितियों के बीच समन्वय का काम देखेंगे। लगभग 40 केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है जिसमें किसी के पास दो तो किसी के पास तीन लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी है।

संगठन से ही सरकार है, अमित शाह ने कहा- लापरवाही नहीं

अभी छह सितंबर को बीजेपी कार्यालय में समीक्षा बैठक हुई जहां पहले फेज की प्रगति का जायजा लिया गया। मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी जगहों पर तेजी से कार्य प्रगति पर है। गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्रियों से कहा कि संगठन से ही सरकार है। पार्टी के काम को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। जिन मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है उनमेंअधिकांश मंत्रियों ने रात्रि प्रवास पूरा कर लिया है। अपने प्रवास के दौरान मंत्रियों ने मंडल स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत की। हाल ही में जब रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने सहारनपुर का दौरा किया तो उन्हें दिल्ली से सहारनपुर के लिए एक ट्रेन की लंबे समय से लंबित मांग के बारे में पता चला। इसी महीने रूट पर नई ट्रेन चलने वाली है। मंत्रियों को अपने प्रवास के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के आवास पर दोपहर का भोजन करने की भी सलाह दी गई है।

उम्मीदवारों के चयन के लिए अभी से जिम्मेदारी

6 सितंबर को हुई बैठक में अधिकांश मंत्रियों का विचार था कि एससी और अन्य पिछड़े वर्ग तक पहुंचने से इन लोकसभा सीटों पर पार्टी को काफी फायदा होगा। अगले चरण में, पार्टी ने मंत्रियों को 144 लोकसभा सीटों के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान करने का काम सौंपा है। इन सीटों में स्थानीय मुद्दों को उजागर करते हुए पार्टी नियमित रूप से विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए स्थानीय नेतृत्व से भी संवाद करेगी। प्रत्येक लोकसभा सीट पर विशेष मीडिया प्रभारी नियुक्त किए जाएंगे जो मीडिया संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करेंगे। सोशल मीडिया टीम को भी इस काम की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के नेताओं को ऐसा लगता है कि यदि योजना पूरी तरह कारगर रही तो कम से कम 70 से अधिक सीटें पार्टी जीत सकती है। योजना का दूसरा चरण अक्टूबर से शुरू होगा।