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राकेश कुमार महंती. साल 2012 में बीआईटी बेंगलुरु से बीटेक किए. टीसीएस में कैंपस सिलेक्शन हो गया. 4 साल तक नौकरी की, लेकिन मन नहीं लगा. वह गांव लौटने का मन बना लिए और खेती करने की योजना के साथ झारखंड के जमशेदपुर जिले के पटमदा गांव में लौट आए.
घर लौटने के बाद उन्होंने सबसे पहले बेसिक्स समझने की ओर ध्यान दिया और जमशेदपुर के एक्सएलआरआई स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में उद्यमिता विकास का कोर्स किया. किसानों और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क स्थापित किए. इसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि समस्या को स्थानीय स्तर पर ही ठीक किया जा सकता है.
rakesh mahanti
राकेश ने 5 किसानों की एक टीम बनाई और अपने छोटे से जमीन पर मॉडल फार्मिंग की शुरुआत की. सब्जी के साथ-साथ मकई और बाजरा की खेती शुरू कर दी. आज स्थिति ये है कि उनके साथ 85 किसानों की आय बढ़ गई है. पूरा गांव उन्हें फॉलो कर रहा है.
साल 2017 में राकेश ने सामाजिक उद्यम ब्रुक एन बीस की शुरुआत की. इससे किसान जैविक खेती करने के तरीके सीखते हैं. खेती के आवश्यक बीज, खाद, आधुनिक उपकरण की जानकारी लेते हैं. उद्यम से जुड़े किसान आपस में ही खेत, संसाधन, ज्ञान, उपकरण, श्रम और मशीनरी शेयर करते हैं. इससे भी उन्हें मुनाफा मिलता है. खेतीहर मजदूरों की भी आमदनी होती है. उनसे इस समय देशभर के 200 किसान जुड़े हैं और लगातार सीख रहे हैं.
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राकेश एक किसान स्कूल भी चलाते हैं. वहां वह किसानों को खेती की जैविक और आधुनिक तकनीकी को मुफ्त में ट्रेनिंग देते हैं.
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कृषि पदाधिकारियों ने राकेश की काफी तारीफ की है. वे उन्हें युवाओं में रोल मॉडल बनाया है. अच्छी पढ़ाई के बाद वह खेती-किसानी में लौटे हैं तो लोग उन्हें आदर्श मान रहे हैं. वह एक तरफ हाईटेक खेती कर रहे हैं और मार्केटिंग भी कर रहे हैं.