भारत देश प्रगति की ओर अग्रसर है। अब देश में लड़के हों या लड़की, सबको एक सामान अधिकार प्राप्त है। स्कूल, कालेज और ऑफिसों में बीटा और बेटियाँ एक बराबर योगदान दे रहे हैं। फिर भी आज के इस मॉर्डन ज़माने में देश में कुछ गांव ऐसे हैं, जहाँ यह सोच हावी है की बेटियाँ बेटो वाले काम नहीं कर सकती है। कुछ लोगो की यह सोच है की औरत अब भी पुरुष से कमज़ोर है।
इसके उलट आज कई ऐसी महिलाएं हैं, जो लोगो की इस तरह की गलत बातों को गलत साबित कर रही है। हमारी टीम एक नंबर न्यूज़ का भी यही मकसद है की हम ऐसी सफल महिलाओ के कहानी आपके सामने लाएं, जिन्होंने महिला उत्थान के मार्ग में चलकर मिसाल कायम की है। इस महिलाओं की वजह से दूसरी महिलाओं को भी प्रेरणा मिलती है।
आज आप संगीता पिंगल की कहानी (Sangeeta Pingal Story) जानेंगे, जो की महाराष्ट्र, नासिक के माटोरी गांव में रहती है। संगीता ने भी उन लोगो की बातों को गलत साबित किया है, जो महिलाओं को खेती किसानी (Farming Business) करने के योग्य नहीं समझते हैं। वैसे तो संगीता ने अपने जीवन में बहुत बुरा दौर देखा है।
साल 2004 में उन्होंने जन्म संबंधी दिक्कतों के चलते अपना दूसरा बच्चा खो दिया था। फिर उसके कुछ सालो के बाद 2007 में उनके पति की सड़क दुर्घटना में जान चली गई थी। उस वक़्त संगीता 9 महीने की गर्भवती भी थीं। ऐसे में संगीता पूरी तरह से टूट गई थी। उस वक़्त निरास और अकेली संगीता की उनके ससुराल वालो ने ख्यान रखा और सपोर्ट भी किया।
संगीता (Sangeeta Pingal) के ससुराल में खेती ही एक आये का साधन (Earning Source) था। उनके पति के जाने के बाद केवल ससुर जी खेती संभल रहे थे। फिर कुछ सालो के बाद उनके ससुर जी भी बुजुर्ग अवस्था में चल बसे। ऐसे में संगीता को बदु मुश्किल हों गई और आर्थिक संकट भी खड़ा हों गया।
फिर संगीता ने खुद परिवार को संभालने का बीड़ा उठाया और खेती करने का फैसला किया। वे खुद 13 एकड़ जमीन पर खेती करने निकल पड़ी। उनके खेती करने के कामके कारण उनसे कई रिश्तेदारों न रिश्ता ही तोड़ लिया और सोचने लगे की एक औरत अकेले खेती नहीं कर सकती है।
संगीता ने सबकी सोच को गलत साबित करके के मकसद से अपनी खेती ज़ारी लखी। अब उन्हें खेत में काम करने के लिए धन की जरूरत थी और उनकी पर्याप्त पैसे नहीं थे। उन्होंने खुद का सोना रखकर पैसे उठा लिए। अब एक और दिक्कत यह थी की उन्हें खेती (Kheti) करना नहीं आता था, तो संगीता के भाइयो ने उसे सपोर्ट किया।
संगीता पढ़ी लिखी महिला थी, तो उन्होंने पारम्परिक और मॉर्डन खेती दोनों अच्छे से सीख ली। उन्होंने ट्रेक्टर चलाना भी सीखा। अब बारी थी अपनी मेहनत का फल खाने का। उन्होंने जो अंगूरों की फसल (Angoor ki Fasal) लगाईं थी, वह 800 से 1000 टन तक होने लगी।
संगीता ने अपनी लगन और मेहनत से 30 लाख रुपये की कमाई कर ली थी। संगीता अब अपने खेत में उगाए अंगूरों (Grapes) को एक्सपोर्ट करने का विचार कर रही है, जिससे और अधिक मुनाफा हों सकें। आज वे नारी शक्ति का जीता जागता उदहारण है।