डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई)
देहरादून ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से एफआरआई और नौणी
विश्वविद्यालाय के बीच अनुसंधान और सहयोग में तेजी आएगी और दोनों विश्वविद्यालयों के बीच छात्रों के
आदान-प्रदान होगा। वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद के अंतर्गत
प्रमुख संस्थानों में से एक है।
नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल और डॉ ए एस रावत, महानिदेशक आईसीएफ़आरई के बीच एमओयू पर
हस्ताक्षर किए गए। इस संबंध में ऑनलाइन बैठक गुरुवार को आयोजित की गई, जिसमें डॉ एनके उप्रेती, समूह
समन्वयक (अनुसंधान) एफआरआई, डॉ एके जोशी, सह निदेशक, क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं, डॉ
पीएस रावत, साइंटिस्ट एफ़ और डॉ अजय ठाकुर, प्रमुख, जेनेटिक्स और ट्री इम्प्रोवेमेंट, एफआरआई शामिल हुए।
नौणी विवि के क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं में कार्यरत प्रधान वैज्ञानिक डॉ प्रियंका ठाकुर ने इस
बैठक के दौरान एफआरआई में विवि का प्रतिनिधित्व किया।
इस अवसर पर डॉ परविंदर कौशल ने कहा कि इस साझेदारी का उद्देश्य एक ढांचा प्रदान करना है जिसके द्वारा
दोनों विश्वविद्यालय एक साथ संयुक्त गतिविधियों का संचालन कर सके। दोनों संस्थान मानव संसाधन विकास के
लिए स्कोलर्स के सहयोगात्मक अनुसंधान, शिक्षण और साझाकरण का काम करेंगे और सहयोगी अनुसंधान के
प्रभाव को बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत दोनों संस्थान संबंधित स्थानों पर परीक्षण और मूल्यांकन के लिए रोपण
सामग्री / जर्मप्लाज्म के आदान-प्रदान की दिशा में काम करेंगे। इसके अलावा, दोनों पक्ष पीजी छात्रों की सलाहकार
समितियों में सह-मार्गदर्शक सदस्य के रूप में वैज्ञानिकों को शामिल करने और शोधकर्ताओं को विशेष प्रशिक्षण भी
प्रदान करेंगे। इसके अलावा, दोनों विश्वविद्यालय अपनी प्रयोगशालायें, पुस्तकालय सुविधाएँ को साझा करेंगे और
वैज्ञानिकों/संकायों और शोधकर्ताओं और एक-दूसरे संस्थानों के छात्रों को सहायता प्रदान करेंगे।
डॉ कौशल ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि विश्वविद्यालय इस तरह के संस्थानों का सहयोग मजबूत करेगा
और छात्रों को समग्र शिक्षा का माहौल उपलब्ध कराएगा।